बीते जमाने की मशहूर अदाकार नरगिस आज बेशक हमारे बीच नहीं है,लेकिन अपने अभिनय की जो अमिट छाप उन्होंने दर्शको के दिलों पर छोड़ी है वह काबिल ए तारीफ है।1 जून 1929 को तत्कालीन बंगाल प्रेसिडेंसी के कलकत्ता में जन्मी नरगिस का असली नाम फातिमा राशिद था।लेकिन फिल्मी दुनिया में उन्हें नरगिस के नाम से प्रसिद्धि मिली।फातिमा का नाम बदलकर नरगिस रखने वाला इंसान और कोई नहीं बल्कि उस समय के मशहूर निर्देशक महबूब खान थे।
नरगिस के पिता का नाम मोहन बाबू था जिन्होंने बाद में इस्लाम धर्म अपना कर अपना नाम अब्दुल राशिद रख लिया था। मूलत वह पंजाबी हिन्दू थे और पेशे से डॉक्टर थे। उन्होंने भारतीय क्लासिकल संगीत गायिका जद्दनबाई से शादी की और इन्ही से जन्मी भारतीय सिनेमा को बुलंदी की उचाईयों पर पहुंचाने वाले मजबूत KH अभिनेत्री नरगिस । नरगिस की मां जद्दनबाई सिनेमा के क्षेत्र में गायक, नर्तक, निर्देशक, संगीतकार और अभिनेत्री के रूप में कार्य करती थी और फिल्म जगत में काफी सक्रियता के साथ जुड़ी, हुई थी।उन्होंने नरगिस को भी अपने साथ रखा।हालांकि नरगिस अभिनेत्री नहीं,बल्कि अपने पिता की तरह डॉक्टर बनना चाहती थी,लेकिन उनकी मां चाहती थी की वह अभिनेत्री बने।वह नरगिस को हमेशा अपने साथ रखती थी और वह दिन भी आया जब नरगिस छोटी सी उम्र महज 6 साल में फिल्म ‘तलाशे हक’ से बतौर बाल कलाकार अभिनय करियर की शुरुआत की।इस फिल्म में उनकी मां जद्दनबाई मुख्य भूमिका में थी।
इस फिल्म के बाद नरगिस कुछ और फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में नजर आई।साल 1943 में बतौर मुख्य अभिनेत्री नरगिस की पहली फिल्म प्रदर्शित हुई और इस फिल्म का नाम था ‘तकदीर!’ महबूब खान के निर्देशन में बनी इस फिल्म में नरगिस मुख्य भूमिका में थी।इस फिल्म में उनके अभिनय को काफी पसंद किया गया।इसके बाद नरगिस को एक के बाद एक कई फिल्मों के ऑफर मिलने लगे।जिसके बाद नरगिस अपने शानदार अभिनय के कारण धीरे-धीरे कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती गई। बड़े परदे पर नरगिस की जोड़ी बॉलीवुड के ‘शोमैन’ यानी राजकपूर साहब के साथ काफी पसंद की गई।नरगिस ने अपनी मेहनत और खूबसूरत अदाकारी से न सिर्फ अपनी खास पहचान बनाई,बल्कि दर्शकों के दिलो को भी जीता और यह उनकी शानदार अभिनय का ही नतीजा था कि साल 1940 से 1960 के बीच फिल्म जगत में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था और उस दौर में वह दर्शकों की सबसे चहेती अभिनेत्री बन कर सामने आई।
नरगिस ने हर तरह के किरदार को बखूबी निभाया और कभी भी चुनौतियों से नहीं डरी।शायद यही कारण है कि महज 28 साल की उम्र में उन्होंने फिल्म ‘मदर इंडिया’ में माँ का किरदार निभाने से भी गुरेज नहीं किया।इस फिल्म का यादगार किस्सा जिसका जिक्र अक्सर सुनने को मिलता है वह यह की शूटिंग के दौरान फिल्म के सेट पर आग लग गई थी और नरगिस इस आग के बीच फंस गई थी।तब फिल्म में नरगिस के साथ अभिनय कर रहे अभिनेता सुनील दत्त रियल हीरो की तरह सामने आये और नरगिस को बचा लिया।इस घटना के बाद दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया था। दिलचस्प बात यह है कि ‘मदर इंडिया’ फिल्म में सुनील दत्त नरगिस के बेटे बने थे और इस फिल्म में दोनों से साथ में पहली बार काम किया था। हालांकि इस फिल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले ही नरगिस की दो मुलाकाते सुनील दत्त से हो चुकी थी।उस समय नरगिस फिल्म जगत में अपनी पहचान बना चुकी थी और सुनील स्ट्रगल कर रहे थे।खैर अक्टूबर 1957 में फिल्म ‘मदर इंडिया’ रिलीज हुई और 11 मार्च 1958 को दोनों ने शादी कर ली।शादी के बाद भी नरगिस ने अपना फ़िल्मी करियर जारी रखा।उनकी प्रमुख फिल्मों में हुमायूँ , मेला, अनोखा प्यार,बरसात, अंदाज,जोगन,जान पहचान, बाबुल, हलचल, आवारा, बेवफा, श्री 420, जागते रहो, परदेसी, मदर इंडिया, लाजवंती, अदालत,रात और दिन आदि शामिल हैं।
साल 1958 में नरगिस को मनोरंजन जगत में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।साल 1967 में नरगिस आखिरी बार फिल्म ‘रात और दिन’ में मुख्य भूमिका में अभिनय करती नजर आई। इस फिल्म के लिए नरगिस को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी के साथ वह राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाली बॉलीवुड की पहली अभिनेत्री भी रही। 1967 के बाद नरगिस ने धीरे-धीरे फिल्मों से दूरी बनानी शुरू कर दी और अपने अभिनेता पति के साथ मिलकर सामजिक कार्यों में जुट गई। बाद में वह राजयसभा की सदस्य भी बनी।लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई,क्योंकि इस दौरान नरगिस की तबीयत ख़राब हो गई इलाज कराने पर पता चला उन्हें कैंसर है।
इस भयावह बीमारी से लड़ते हुए उन्होंने 3 मई, 1981 को दुनिया को अलविदा कह दिया,लेकिन दर्शकों के दिलों में वह आज भी जीवित है। साल 1982 में नर्गिस की याद में नर्गिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन की स्थापना की गई,जहां कैंसर पीड़ितों का इलाज किया जाता है।नरगिस और सुनील दत्त के तीन बच्चे संजय दत्त, नम्रता दत्त और प्रिया दत्त।नरगिस संजय दत्त को बहुत प्यार करती थी और चाहती थी कि वह एक अच्छे और बड़े अभिनेता बने और वह उन्हें रुपहले परदे पर अभिनय करते देखे,लेकिन उनका यह सपना पूरी तरह से पूरा न हो पाया।
संजय दत्त अभिनेता तो बने,लेकिन उनकी पहली फिल्म रिलीज होने से चार दिन पहले ही नरगिस ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। साल 1993 में भारतीय डाकघर ने 30 दिसंबर को एक डाक टिकट जारी किया था, जिसमे उन्होंने नरगिस के सम्मान में उनकी तस्वीर बनाई थी। यहीं नहीं साल 2015 में नरगिस के 86 वे जन्मदिन पर गूगल ने, उनका जन्मदिन मनाया। यह इस बात का सबूत है कि नरगिस की लोकप्रियता आज भी दर्शकों के बीच बरकरार है।