जॉनी लीवर अभिनय जगत का एक ऐसा नाम है,जिसका नाम सुनते ही लोगों के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है।भारत के पहले स्टैंड अप कॉमेडियन है और यह कहना भी गलत नहीं होगा की स्टैंड -अप कॉमेडी को भारत में लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। आज स्टैंड- अप कॉमेडी का जमाना है, कई कलाकारों के घर स्टैंड अप कॉमेडी की वजह से चल रहे है उन सभी के लिए जॉनी लीवर आदर्श है।
बॉलीवुड में वैसे तो कई कॉमेडियन आये और गए, लेकिन महमूद साहब के बाद जॉनी लीवर ने जो मकाम हासिल किया वह अतुलनीय है। जॉनी लीवर वह कलाकार है जिनके सिर्फ एक अपीयरेंस से पूरी फिल्म का मूड चेंज हो जाता है, उनकी एक झलक से लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। वह कहते है न किसी को अपने किरदार से रुलाना या गुस्सा दिलाना बहुत आसान है, परन्तु किसी को अपने किरदार से हंसाना बहुत मुश्किल काम है और इस काम को बखूबी किया जॉनी लीवर ने।
14 अगस्त 1956 में आंध्रप्रदेश के कनिगिरि प्रकाशम् जिले के एक क्रिश्चन तेलुगु परिवार में जन्में जॉनी लीवर का असली नाम जॉन प्रकाश राव जानुमाला है। उनके पिता प्रकाश राव जानुमाला हिंदुस्तान लीवर में ऑपरेटर के पद पर काम किया करते थे। जॉनी लीवर का बचपन आंध्रप्रदेश में ही गुजरा। तीन बहन और दो भाई में जॉनी सबसे बड़े थे। परिवार की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण महज 7 साल की उम्र में उन्हें अपने स्कूल इंग्लिश हाई स्कूल में फीस न भरने की वजह से निकाल दिया गया था।इस घटना के चंद दिनों बाद जॉनी लीवर हैदराबाद चले गए और वहां उन्होंने कॉमेडी सीखी। इसके बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया और अपने परिवार के साथ मुंबई के किंग सर्किल धारावी में रहने लगे,जहां उन्हें पेट पालने के लिए छोटा -मोटा काम भी मिल गया । शुरूआती दिनों में जॉनी एक्टर्स की मिमिक्री कर के गली-गली में घूम कर पेन बेचा करते थे। उसके बाद उन्हें हिंदुस्तान लीवर जो की अब हिंदुस्तान युनिलीवर है में काम मिल गया। उनकी बंद किस्मत का ताला उस वक्त खुला जब उन्होंने हिंदुस्तान लीवर के एक कार्यक्रम में अपने सीनियर ऑफिसर्स की मिमिक्री की ।उस प्रोग्राम में जॉनी ने अपने स्टैंड-अप कॉमेडी से मानो जादू सा बिखेर दिया था। प्रोग्राम में मौजूद सभी लोग हंस -हंस कर लोट -पोट हो गए और कोई भी जॉनी की तारीफ़ किये बगैर नहीं रह पाया । इस कार्यक्रम के बाद कंपनी के साथियों ने उनका नाम जॉनी लीवर रख दिया।
इसके बाद जॉनी लीवर कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे और स्टैंड-अप कॉमेडियन के रूप में अपनी पहचान कायम की। साल 1981 में जॉनी लीवर ने हिंदुस्तान लीवर की नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से अपने काम पर ध्यान देने लगे। साल 1982 में जॉनी लीवर को पहली बार विदेश दौरा करने का मौका मिला। उनका यह दौरा था बॉलीवुड के एंग्री यंग मन अमिताभ बच्चन के साथ। इस दौर में जॉनी लीवर ने कई स्टेज शो किये। इसी दौरान अभिनेता व फिल्म निर्माता-निर्देशक सुनील दत्त की नजर जॉनी लीवर पर पड़ी। सुनील दत्त ने जॉनी लीवर के अंदर की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपनी आगामी फिल्म ‘दर्द का रिश्ता’ में काम करने का ऑफर दिया। साल 1982 में रिलीज इस फिल्म से जॉनी लीवर की बॉलीवुड में धमाकेदार एंट्री हुई और उन्हें एक के बाद एक लगातार कई फिल्मों में काम मिलने लगे। लेकिन बॉलीवुड में उन्हें असली कामयाबी मिली साल 1993 में रिलीज हुई अब्बास मस्तान निर्देशित फिल्म ‘बाजीगर’ से। इस फिल्म में शाहरुख खान, काजोल और शिल्पा शेट्ठी मुख्य भूमिका में थी। इस फिल्म में जॉनी लीवर द्वारा निभाए गए बाबूलाल के किरदार से उन्होंने दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। इसके साथ ही इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्म फेयर के बेस्ट कॉमेडियन के अवार्ड के लिए भी नामाँकित किया गया। इसी दौरान जॉनी लीवर ने भारत की पहली ऑडियो कॉमेडी कैसेट ‘हंसी के हंगामे’ को रिकॉर्ड कर घर घर में अपनी पहचान बनाई। इसके साथ ही उनका एक टीवी कमर्शियल जो की शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया था कछुआ छाप अगरबत्ती के लिए काफी पॉपुलर हुआ और इसके साथ ही जॉनी लीवर आम जनता के बीच भी काफी मशहूर हो गए।
जॉनी लीवर ने अपने अब तक के करियर में लगभग 350 फ़िल्मे की है । कहा जाता है कि जॉनी लीवर अपने काम के प्रति काफी गंभीर थे। वह शूटिंग में हमेशा 1 घंटे पहले पहुंच जाते थे। जो भी व्यक्ति जॉनी को करीब से जानता है वह बताता है कि जॉनी हमेशा एक्टिव रहते है चाहे शूटिंग हो या स्टेज शोज। कभी जॉनी लीवर ने कभी भी खुद को फिट रखने के लिए जिम ज्वाइन नहीं किया,न ही वह योग करते है, बस काम के प्रति दृढ़निश्चिता ही उनको एक्टिव रखती है। जॉनी ने फिल्मों के अलावा कई पॉपुलर टीवी शोज भी किये,जिसमें ‘ज़बान सँभाल के’, ‘कॉमेडी सर्कस’ और ‘जॉनी आला रे’ जैसे कुछ शोज़ दर्शकों के बीच बहुत मशहूर हुए।
कहते है जिनके सपने बड़े होते है उनकी राते बहुत छोटी है। यह बात जॉनी लीवर पर सटीक बैठती है। अपने स्ट्रगल के दिनों में उनको कभी भी नींद नहीं आती थी। वह दिन- रात अपनी कामयाबी के सपने देखते रहते थे। जॉनी लीवर अब 64 साल के हो गए है, लेकिन काम के प्रति उनका जज़्बा कम नहीं हुआ है। पिछले पांच सालों में भी जॉनी लीवर की कई सुपरहिट फ़िल्मे रिलीज हुई है जिनमे उनके किरदार ने दर्शकों को खूब हंसाया। फिल्म एंटरटेनमेंट, गोल माल और गोल माल रिटर्न्स, धमाल और टोटल धमाल हॉउसफुल जैसी कुछ सुपरहिट फ़िल्मे इसका उदाहरण है।
जॉनी लीवर को फिल्मों में उनके सराहनीय योगदानों के लिए अब तक कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है जिसमें साल 1997 में स्टार स्क्रीन अवार्ड ब्लॉकबस्टर हिट फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ के लिए, 1998 में फिल्म फेयर अवार्ड ‘दीवाना मस्ताना‘ के लिए 1999 में फिल्म फेयर अवार्ड ‘दूल्हे राजा‘ के लिए और 2002 में ज़ी सिने अवार्ड ‘लव के लिए कुछ भी करेगा‘ के लिए बेस्ट एक्टर इन कॉमिक रोल आदि भी शामिल है। लेकिन इन सब से बढ़कर उन्हें जो असली अवार्ड मिला वह है दर्शकों का भरपूर प्यार।
आज जॉनी लीवर बॉलीवुड एक कामयाब कलाकार है और पूरा देश उनके नाम और शोहरत से वाक़िफ़ है।जॉनी लीवर की पत्नी का नाम सुजाता है और उनके दो बच्चे बेटी जैमी और बेटा जेस हैं। जॉनी लीवर की बेटी जैमी उन्ही की तरह स्टैंड-अप कॉमेडी की राह पर है और खूब नाम कमा रही हैं।