Tag Archives: ‘‘दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः। वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते।।’’

जिसने कामनाओं का त्याग कर दिया, वह ईश्वरीय अंश है…

श्रीमद्भगवद् गीता में कई बार कामनाओं के विषय में बातें की गई हैं। वस्तुतः यह विषय ही ऐसा है कि इसके विषय में जितनी बात करें उतनी कम है। कामना अर्थात विभिन्न प्रकार की इच्छाएं, मानव जीवन की एक नैसर्गिक प्रक्रिया है। कोई भी साधारण व्यक्ति कामनाओं इच्छाओं से सर्वथा दूर नहीं हो सकता है, जो सर्वविदित है। लेकिन भारतीय ...

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