त्यागः संपूर्ण भौतिक ऊर्जा भगवान की है और यह उनकी खुशी के लिए है। इसलिए, संसार की ऐश्वर्य किसी के भोग के लिए नहीं है। बल्कि ईश्वर की सेवा में उपयोग करने के लिए है। इस समझ में स्थिर होना ही त्याग है। वैसे तो इस संसार में मनुष्य का भोगों के प्रति आकर्षण स्वाभाविक है। पर विचारने पर दृष्टिगत ...
Read More »