गीता के 16वें अध्याय के श्लोक 1 से 3 में, कहा गया है की- अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः। दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्।1।। अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यागः शान्तिरपैशुनम्। दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ”हीरचापलम्।।2।। और तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहोनातिमानिता । भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत।।3।। सर्वेश्वर के इस कथन में कहा गया है कि दिव्य प्रकृति से संपन्न लोगों में, अनेक गुण होते हैं जैसे- निर्भयता, मन ...
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