बदलते रहने का सबक.....यानि वक्त.........................
Read More »धर्म
चारित्र्य ही व्यक्तित्व का गहना…………..
चरित्र मनुष्य जीवन का एक अनमोल गहना है। चरित्र से व्यक्ति का व्यक्तित्व जाना जाता है........................
Read More »आंतरिक रूपांतरण जरूरी………………
आंतरिक रूपांतरण जरूरी.................................
Read More »अद्वितीय जीवन की नींव-समझ, स्वीकार और संस्कार
अद्वितीय जीवन जीना हर कोई चाहता है। जहां पर सुख हो, समृद्धि हो, वैभव हो, शांति हो और समरसता हो। लेकिन आज के जमाने में प्रश्न यह है कि अद्वितीय जीवन जीने के लिए क्या कोई अपनी जिम्मेदारी को निभाता है?— नहीं! मनुष्य रोते हुए जन्म लेता है, फरियाद करते हुए जिन्दगी जीता है और असंतोष के साथ मरता ...
Read More »संन्यासी और कर्मयोगी के पांच संयम…..
संन्यासी शब्द सुनते ही हमारे मन में भगवे कपड़े, लम्बी दाढ़ी-बाल वाले चेहरे की कल्पना आती है। लेकिन भगवद् गीता के अनुसार संन्यासी कपड़े या चेहरे से नहीं, गुणों और संयम से बन सकते हैं। अगर हम संन्यासी के कपड़े पहनकर इन्द्रियों पर काबू नहीं पा सकते तो कपड़े का कोई महत्त्व नहीं है। अगर हमें धन-दौलत-गाड़ी-बंगला से प्यार है ...
Read More »योगक्षेमं वहाम्यहम्य्
मनुष्य जीवन जीते हुए हमें हमेशा ही हमारे योगक्षेम, मतलब की हमारी आवश्यकताओं और आश्रय की चिंता सताती रहती है। यह मनुष्य जीवन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन जब हम भगवद गीता का अध्ययन करेंगे तो ज्ञात होगा कि भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आपको किसी भी तरह की कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है, अगर आप प्रभु ...
Read More »दृढ़ निश्चय से, सब कुछ संभव
संकल्प में बड़ी शक्ति होती है। दृढ़ संकल्पित व्यक्ति, असंभव से लगने वाले कार्यों को भी सहज ही कर गुजरता है। भगवद् गीता के 9वें अध्याय के 31वें श्लोक में कहा गया है- न मे भक्तः प्रणश्यति।।9-31।। अर्थात् दृढ़निश्चयी व्यक्ति, कभी नष्ट नहीं होता | प्रत्येक गुजरते दिन के साथ ही हमारी प्राथमिकताएं भी बदलती जाती हैं। अपनी प्राथमिकताओं के ...
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