भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग| भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग सहाद्रि नामक पर्वत की वादियों से घिरा हुआ है, भीमा नदी के निकट शिराधन गांव में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग विराजमान है| भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में स्थित शिवलिंग बहुत ज्यादा मोटा है,जिसकी वजह से इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना और माना जाता है। ऐसा माना जाता है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही इंसान का कल्याण और सभी मनोकामनाए जल्द पूर्ण हो जाती है। भीमाशंकर मंदिर की प्रसिद्धि का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की मराठा राज्य के महाराज छत्रपति शिवाजी भी यहाँ बहुत बार पूजा करने आए थे| कुछ लोगो का मानना है की भीमाशंकर मंदिर का निर्माण शिवाजी के द्वारा ही करवाया गया है। भीमाशंकर मंदिर के आसपास के जंगल को संरक्षित करा हुआ है, इस वन या जंगल में आपको कई प्रकार के सुंदर पक्षी और दुर्लभ वन्य जीव जंतु (जैसे – शेकरु नामक जानवर) दिखाई दे सकते हैं। भीमाशंकर मंदिर पुणे से लगभग 100 किमी दूरी पर तथा नासिक से लगभग 120 मील दूरी पर विराजमान है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा
हिन्दू धर्म में शायद ही कोई इंसान हो जिसने रामायण ना पढ़ी हो, भगवान राम ने राक्षसराज रावण और उसके भाई कुंभकर्ण के साथ साथ रावण के सभी पुत्रो सहित सभी राक्षसों का अंत कर दिया था| लेकिन कया आप जानते है की जिस समय कुंभकर्ण का वध हुआ उस समय उनके एक पुत्र भी था, कुंभकर्ण के पुत्र का नाम भीम था और जिस समय कुंभकर्ण का वध हुआ उस समय वह बहुत छोटा था| कुंभकर्ण के वध के बाद उनकी पत्नी अपने पुत्र के साथ मायके चली रही गई| लेकिन कुछ समय बाद उसने मायका छोड़ दिया और अपने पुत्र भीम के साथ एक पर्वत पर निवास करने लगी| धीरे धीरे समय बीतता चला गया और कुंभकर्ण पुत्र भीम जवान हो गया,जवान होने पर भीम ने अपनी माँ से अपने पिता के बारे में पूछा तो उसकी माँ कर्कटी ने भीम को उसके पिता कुंभकर्ण के बारे में बताया और यह भी बताया की किसने उसके पिता को मारा था| भीम सारी बात सुनाने के बाद क्रोधित हो उठा और उसने अपने पिता कुंभकर्ण के वध का बदला लेने की ठान ली,भीम अपनी माता से आज्ञा लेकर भगवान ब्रम्हा जी की कठिन तपस्या करने के लिए वन में चला गया| वन में भीम ने कठोर तप करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया और भीम ने ब्रह्मा भगवान से बहुत ज्यादा शक्तिशाली होने का वर प्राप्त कर लिया।
ब्रह्मा जी से वरदान पाने के बाद भीम बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो गया था, फिर उसने देव लोक पर आक्रमण करके इंद्र को हराकर इंद्रलोक पर अपना अधिकार जमा लिया। महाबलशाली भीम का अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था,सभी जीव, जंतु और ऋषि मुनि के आतंक से परेशान थे| उस समय कामरूप देश के राजा सुदक्षिण थे,राजा सुदक्षिण भगवान शिव के परम भक्त थे,उन पर भी भीम ने आक्रमण कर दिया और राजा सुदक्षिण को युद्ध में परास्त करके कारागार में डाल दिया। सभी परेशान देवतागण और ऋषि मुनि, भीम के आतंक को समाप्त कराने के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे और भगवान शिव से प्रार्थना करने लगें। भगवान शिव ने सभी की प्रार्थना सुनने के बाद कहा आप सब लोग परेशान ना हो जल्द ही भीम का संहार होगा। दूसरी तरफ बंदी बनाए हुए राजा सुदक्षिण ने कारागार में ही भगवान शिव की पूजा करने के लिए शिवलिंग की स्थापना कर ली और नियमित रूप से विधि पूर्वक भगवान शिव की पूजा अर्चना शुरू शुरू कर दी राजा को पूजा करते देख अन्य सभी कैदी भी भगवान शिव भक्ति की पूजा करने लगे।
जब भीम को इस बात का पता चला तो वह बहुत ज्यादा क्रोधित हो गया और राजा सुदक्षिण को मारने के लिए कारागार में पहुँच गया| कारागार पहुँचने पर उसने देखा राजा सुदक्षिण शिवलिंग के सामने बैठे पूजा कर रहे थे, क्रोधित भीम ने अपनी तलवार से पार्थिव शिवलिंग पर प्रहार किया, लेकिन भीम की तलवार शिवलिंग के पास तक नहीं पहुंची तभी शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट हुए| भगवान शिव की हुँकार मात्र से ही भीम जलकर भस्म हो गया, भीम के समाप्त होने के बाद सभी कैदी, देवता गण और ऋषि मुनियों ने भगवान शिव से प्रार्थना की वो जन कल्याण करने के लिए यहाँ पर ही विराजमान हो जाएं| सभी की प्रार्थना स्वीकार करते हुए भगवान शिव शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए और तभी से इस शिवलिंग भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा|
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का इतिहास:-
भीमाशंकर मंदिर भीमा नदी के पास और लगभग 3,250 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है| भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में स्थित शिवलिंग की मोटाई अन्य शिवलिंगों की तुलना में ज्यादा मोटा है,जिस वजह से इसे मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है। भीमाशंकर मंदिर एक अत्यंत प्राचीन मंदिर के रूप में जाना जाता है और ऐसा माना जाता है की भीमाशंकर मंदिर का निर्माण 18 वीं सदी के आसपास हुआ था। कुछ लोगो का मानना है की इस मंदिर का निर्माण मराठा शासक नाना फड़नवीस ने कराया था।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग यात्रा का सबसे उपयुक्त समय
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए सबसे बेहतरीन समय नवंबर से फरवरी तक का माना जाता है| आप गर्मियों में जाने का विचार बना रहे है तो यहां का तापमान ज्यादा गर्म रहता है|
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुचें?
अगर आप भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का विचार बना रहे है और आप फ्लाइट से जाने की सोच रहे है तो हम आपको बता दें की भीमाशंकर मंदिर का सबसे निकटतम हवाई अड्डा पुणे में स्थित है, इसीलिए आपको सबसे पहले फ्लाइट से पुणे पहुंचना होगा, वहां से आपको कैब या टेक्सी लेनी पड़ेगी जो आपको मंदिर पहुंचा देते है| पुणे एयरपोर्ट के लिए आपको भारत के सभी प्रमुख शहरों से आसानी से फ्लाइट मिल जाएगी|
अगर आप भीमाशंकर मंदिर जाने का विचार सड़क मार्ग दवारा बना रहे है तो हम आपको बता दें की आप भीमाशंकर मंदिर सड़क द्वारा भी आसानी से पहुँच सकते है| भारत के कई बड़े और प्रमुख शहरो बस और टैक्सी सेवाएं भीमाशंकर मंदिर के लिए उपलब्ध हैं। अगर आप भीमाशंकर मंदिर ट्रैन से जाना चाह रहे है तो आपको मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन कर्जत स्टेशन पर पहुंचना होगा,कर्जत स्टेशन से आप कैब या टेक्सी की मदद से मंदिर पहुँच सकते है|