स्वर्ण मंदिर

अमृतसर का स्वर्ण मंदिर

सिख धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक स्वर्ण मंदिर है, स्वर्ण मंदिर पंजाब की राजधानी अमृतसर में स्थित है| अमृतसर का स्वर्ण मंदिर भारत के साथ साथ दुनिया भर में मशहूर है, यहां पर सभी धर्मो के लोग आते है। स्वर्ण मंदिर के ऊपरी भाग में लगभग 400 किलो सोने से बनी परत चढ़ी हुई है, जिसकी वजह से इस मंदिर का नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा था| अधिकतर इंसान इसे स्वर्ण मंदिर के नाम से ही जाते है लेकिन हम आपको बता दें स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब भी कहा जाता है। वैसे यह सिखों का प्रमुख गुरुद्वारा है, लेकिन इसे मंदिर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां पर सभी धर्मो को एकसमान माना जाता है। स्वर्ण मंदिर में सिख धर्म के अलावा अलग अलग धर्मों के श्रद्धालु आते है|

स्वर्ण मंदिर में चलने वाला लंगर दुनिया का सबसे बड़ा लंगर माना जाता है, स्वर्ण मंदिर में रोजाना लगभग 50 हजार इंसान और वीकेंड्स के दिन लगभग 3 लाख लोग लंगर खाते हैं। लंगर में लगभग 12 हजार किलो आटा रोजाना इस्तेमाल होता है| चलिए अब हम आपको स्वर्ण मंदिर से जुड़ी कई सारी दिलचस्प और रोचक बातें बताने जा रहे हैं, अगर आप स्वर्ण मंदिर पहली बार जा रहे है तो यह लेख आपके लिए बहुत लाभकारी साबित होगा|

स्वर्ण मंदिर का इतिहास

स्वर्ण मंदिर जाने वाले सभी इंसान के मन यह सवाल जरूर आता है की स्वर्ण मंदिर का निर्माण किसने कराया था? तो हम आपको बता दें की अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का इतिहास लगभग 400 साल पुराना है। स्वर्ण मंदिर की नींव सिखों के चौथे गुरू रामदास ने वर्ष 1577 में लगभग 500 बीघा जमीन में रखी थी। अमृतसर का अर्थ होता है अमृत का टैंक, फिर सिखों के पांचवे गुरु गुरू अर्जन देव जी ने सरोवर के बीच में हरमंदिर साहिब यानि स्वर्ण मंदिर का निर्माण कराने के साथ साथ यहां पर सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ की स्थापना भी कराइ थी| कुछ लोगो का मानना है की सम्राट अकबर ने गुरू रामदास की पत्नी को स्वर्ण मंदिर की भूमि दान में दी थी, उसके बाद वर्ष 1581 में गुरू अर्जुनदास ने स्वर्ण मंदिर का निर्माण शुरू कराया था, जब स्वर्ण मंदिर का निर्माण कराया जा रहा था तब इस सरोवर को खाली करा दिया गया था। हरमंदिर साहिब को बनने में लगभग 8 साल का समय लगा था और यह मंदिर वर्ष 1604 में पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था। हालांकि स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट किया गया था, लेकिन सिख धर्म के लोगो ने इसका पुनः निर्माण कराया था| 17वीं शताब्दी में महाराज सरदार जस्सा सिंह अहलुवालिया ने इस मंदिर को फिर से बनवाया और मार्बल से बने स्वर्ण मंदिर में सोने की पत्तियों से नक्काशी कराई थी|

स्वर्ण मंदिर जाने के लिए कौन सा समय उपयुक्त है

वैसे तो आप स्वर्ण मंदिर घूमने कभी भी जा सकते है, गर्मियों के समय यहां का तापमान बहुत ज्यादा होता है, इसीलिए अगर आप गर्मियों के मौसम में अमृतसर घूमने का प्लान कभी भी ना बनायें| अक्टूबर से लेकर मार्च तक के बीच का समय का समय स्वर्ण मंदिर घूमने के लिए सबसे बेहतरीन समय माना जाता है। शनिवार और रविवार में स्वर्ण मंदिर में सबसे ज्यादा भक्त जाते है, इसलिए हम हम आपको सलाह देंगे की शनिवार और रविवार को छोड़कर किसी अन्य दिन जाने का प्लान बनाएं अन्यथा आपको मंदिर के दर्शन करने के लिए कई घंटो का इन्तजार करना पड़ सकता है|

स्वर्ण मंदिर कैसे पहुंचे –

स्वर्ण मंदिर जाने के लिए आप फ्लाइट, ट्रैन और बस में से किसी भी चीज का चयन कर सकते है|  अगर आप फ्लाइट्स से जाना चाहते है तो भारत के लगभग सभी एयरपोर्ट्स से आपको सीधे अमृतसर के फ्लाइट आसानी से मिल जाएंगी| अगर आप बस या ट्रैन से जाना पसंद करते है तो भी आपको लगभग सभी जगह ( दिल्ली, मुंबई, कोलकत्ता, बेंगलोर इत्यादि ) से अमृतसर के लिए आपको  सीधे ट्रैन और बस मिल जाती है| ट्रैन और बस के मुकाबले में फ्लाइट से जाना थोड़ा महंगा होता है लेकिन फ्लाइट से जाने में आपका समय काफी बचता है| अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से पाकिस्तान की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है।

स्वर्ण मंदिर के कुछ रोचक एवं महत्वपूर्ण तथ्य

अपनी धार्मिक महत्वता होने के बावजूद स्वर्ण मंदिर के बारे में कुछ और ऐसी बाते है जिन्हें जानना आपके लिये बहुत जरुरी है –

1 – स्वर्ण मंदिर में आप देखेंगे की उसमे चार दरवाजे है यह चारो दरवाजे चारों धर्मों को दर्शाते है| और इनका मतलब होता है की इस मंदिर में किसी भी धर्म का इंसान मत्था टेकने आ सकता हैं।

२ – दुनिया की सबसे बड़ी रसोई स्वर्ण मंदिर में ही स्थित है, इस रसोई में रोजाना लगभग 1 लाख से ज्यादा इंसानो के लिए लंगर तैयार किया जाता है। ऐसा कहा जाता है की एक बार मुगल सम्राट अकबर भी स्वर्ण मंदिर में लंगर का प्रसाद लेने के लिए आम लोगों की तरह ही बैठे थे|

3 –  स्वर्ण मंदिर की एक रोचक बात यह है की आपने आज तक आपने सीढियो को नीचे से ऊपर की तरफ जाते हुए देखा होगा लेकिन स्वर्ण मंदिर की सीढ़ियां ऊपर से नीचे की तरफ जाती हैं|

4 – स्वर्ण मंदिर की अद्भुत बनावट और बहुत ही आर्कषक चित्रकारी भी इसे विशेष बनाती है, इसकी बनावट और चित्रकारी की वजह से यह देश विदेश में प्रसिद्ध है, जिसने देखने लाखो पर्यटक स्वर्ण मंदिर घूमने आते है|

स्वर्ण मंदिर में जाने से पहले ध्यान रखने वाली बातें

स्वर्ण मंदिर में जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को कुछ नियमों का पालन करना होता है। चलिए कुछ नियम की जानकारी हम आपको उपलब्ध करा रहे है –

1 – स्वर्ण मंदिर में जाने वाले प्रत्येक पुरुष या महिला को सिर को रूमाल, दुपट्टा या स्कार्फ से ढकना जरुरी है|

2 – मंदिर में जाने के लिए कट स्लीव्स ड्रेस या घुटनों से ऊपर की किसी भी प्रकार की ड्रेस ना पहनें|

3 – मंदिर जाने वाले इंसान को अपने साथ शराब, सिगरेट, मीट और ड्रग्स लाना सख्त मना है।

4 – मंदिर में हो रही गुरबाणी को हमेशा नीचे बैठकर सुनना चाहिए।

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