anupam kher

अपने शानदार अभिनय से लोहा मनवाने वाले अनुपम खेर

अपनी शानदार अभिनय प्रतिभा से फिल्म जगत में अपनी अलग पहचान रखने वाले अनुपम खेर का जन्म 07 मार्च 1955 को, शिमला में हुआ था। उनके पिता पुष्कर नाथ खेर फारेस्ट डिपार्टमेंट में  क्लर्क की नौकरी करते थे, जबकि उनकी माँ दुलारी खेर एक कुशल गृहणी है। अनुपम खेर के भाई राजू खेर भी एक जाने माने अभिनेता हैं। एक साधारण परिवार में पले-बढ़े अनुपम को बचपन से ही अभिनय का शौक था। उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पढ़ाई पूरी की और उसके बाद अभिनेता बनने का सपना लिए मुंबई आ गए। यहां उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। साल 1982 में अनुपम की मेहनत रंग लाई और मुजफ्फर अली द्वारा निर्देशित फिल्म ‘आगमन’ में उन्हें अभिनय करने का मौका मिला। इसके बाद साल 1984 में महेश भट्ट की फिल्म ‘सारांश’ अनुपम के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म में 29 साल के अनुपम ने एक रिटायर्ड बुजुर्ग व्यक्ति का किरदार निभाया था। फिल्म में उनके अभिनय को काफी पसंद किया गया। इसके साथ ही इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्म फेयर का बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला। इस फिल्म के बाद अनुपम का फिल्मी करियर चल पड़ा और उन्हें लगातार एक के बाद एक कई फिल्मों में, अभिनय करने का मौका मिला।

अनुपम ने अब तक हिंदी, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, अंग्रेजी और चाइनीज समेत लगभग 500 से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया है। उन्होंने अपने संघर्ष और दमदार अभिनय की बदौलत, फिल्म जगत में एक खास मकाम हासिल किया। अपने फिल्मी करियर में अनुपम ने हर तरह के किरदार को बखूबी निभाया। फिल्म जगत में उन्हे ‘ड्रामा ऑफ स्कूल’ के नाम से भी जाना जाता हैं। उन्होंने बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक में अपने शानदार अभिनय का लोहा मनवाया। अनुपम की प्रमुख फिल्मों में उत्सव, आखिरी रास्ता, कर्मा, राम लखन, चालबाज, डर, लाडला, हम आपके हैं कौन, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, ए फैमिली मैन, द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर आदि शामिल हैं। फिल्मों में अभिनय के अलावा अनुपम ने कई टीवी शोज भी होस्ट किये हैं| जिसमें सवाल दस करोड़ का, द अनुपम खेर शो-कुछ भी हो सकता है, भारतवर्ष आदि शामिल हैं।

इन सब के अलावा अनुपम खेर साल 2005 में आई फिल्म ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’ और साल 2009 में आई फिल्म  ‘तेरे संग’ के निर्माता भी रहे। इस बीच साल 2002 में अनुपम खेर ने मल्टीस्टारर फिल्म ‘ओम जय जगदीश’ से फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा। अनुपम को फिल्मों में उनके सराहनीय योगदान के लिए भारत सरकार की तरफ से साल 2004 में पद्मश्री और साल 2016 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अभिनय के अलावा अनुपम खेर लेखन के क्षेत्र में भी सक्रिय है। उन्होंने ‘द बेस्ट थिंग अबाउट यू इज यू’ और ‘योर बेस्ट डे इज टुडे’ जैसी किताबे लिखी हैं। अनुपम खेर की निजी जिंदगी की बात करे तो, अनुपम खेर की पहली शादी मधुमालती से हुई थी, लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिन न चल सका और जल्द ही दोनों का तलाक हो गया। इसके बाद अनुपम ने 26 अगस्त 1985 को अपनी दोस्त व अभिनेत्री किरण खेर से शादी कर ली।

 

अनुपम और किरण की लव स्टोरी बहुत दिलचस्प है। दोनों की पहली मुलाकात चंडीगढ़ के एक थियेटर ग्रुप में हुई थी। थियेटर के दौरान ही दोनों में दोस्ती हो गई, लेकिन साल 1979 में किरण की शादी मुंबई के बिजनेसमैन गौतम बेरी से हो गई। शादी के बाद किरण मुंबई आ गई और इस तरह से किरण और अनुपम अलग हो गए। हालांकि इस समय तक दोनों के बीच प्यार जैसा कुछ भी नहीं था। मुंबई आने के बाद किरण अपने गृहस्थ जीवन में व्यस्त हो गई और इस दौरान उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम सिकंदर रखा। किरण और गौतम का रिश्ता ज्यादा लम्बा न चल सका। उधर, अनुपम खेर भी अपना करियर बनाने के लिए मुंबई आ गए थे। यहां अनुपम ने फिल्म आगमन से अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन इस फिल्म से अनुपम को पहचान दिलाने में असफल रही। इसके बाद अनुपम अपना करियर बनाने में दिन रात लग गए और प्रोडूसर्स के चक्कर काटने लगे। इस दौरान उनकी मुलाकात किरण से हो गई और उनके बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया।

 

हालांकि इस समय तक किरण ही नहीं बल्कि अनुपम भी शादी शुदा थे और दोनों अपने शादीशुदा जीवन में खुश नहीं थे। जीवन में कई उतार-चढ़ाव के बाद दोनों ने थियेटर कभी नहीं छोड़ा और किस्मत दोनों को बार-बार मिला रही थी। एक दिन अनुपम को नादिरा बब्बर के प्ले में हिस्सा लेने कोलकाता जाना पड़ा, जहां किरण भी उसमें हिस्सा लेने पहुंची थी। इस प्ले के दौरान दोनों का आमना-सामना एक बार फिर हुआ। प्ले के बाद दोनों को एहसास हुआ कि उनके बीच कुछ है। इसके बाद दोनों वापस मुंबई लौट आए और अपने अपने काम में व्यस्त हो गए। उधर साल 1983 में किरण को एक पंजाबी फिल्म आसरा प्यार दा में अभिनय करने का मौका मिला। तो वहीं साल 1985 में रिलीज हुई अनुपम खेर की फिल्म सारांश उन्हें पहचान दिलाने में सफल रही और फिल्म की सफलता के साथ ही अनुपम ने किरण से अपने प्यार का इजहार किया। इसके बाद दोनों ने 1985 में एक दूसरे से शादी कर ली। अनुपम ने न सिर्फ किरण बल्कि उनके बच्चे सिकंदर को भी अपनाया और उन्हें अपना नाम दिया। किरण और अनुपम दोनों करियर के शुरुआती दौर में थियेटर आर्टिस्ट थे और दोनों ने साथ में कई प्ले किए। इसके अलावा दोनों ने साथ में साल 1988 में आई पारसी समुदाय पर आधारित फिल्म पेस्टोनजी में अभिनय किया। अनुपम खेर और किरण खेर का फिल्मी करियर काफी सफल रहा है और दोनों फिल्म जगत में अब भी सक्रिय हैं।

अनुपम खेर बॉलीवुड के सबसे मंझे हुए, कूल और बिंदास अभिनेताओं में से एक माने जाते हैं। वह फिल्मों में खुद को न सिर्फ पात्र के अनुरूप ढालते है, बल्कि उसे जीते भी हैं। इसके साथ ही अपने चाहने वालों के बीच किसी भी मुद्दे पर अपनी बातों को बेबाकी और सहजता के साथ रखे जाने के लिए भी मशहूर हैं। अनुपम खेर अपनी माँ के बहुत करीब है और वह अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ को बखूबी देते है। अनुपम यह बात खुलकर सबके सामने रखते है कि जिंदगी का असली पाठ उन्होंने अपनी माँ से ही सीखा है। 66 वर्षीय अनुपम खेर सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रीय रहते है और अक्सर अपनी जिंदगी से जुड़े किस्से अपने फैंस के साथ साझा भी करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके अनुपम खेर के चाहने वालों की संख्या आज लाखों में हैं।

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