त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

सबसे पवित्र ज्योतिर्लिंग त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव के उन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग है, त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग को भारत में सबसे पवित्र माना जाता है। भारत के महाराष्ट राज्य के नासिक शहर के पास त्रंबक शहर में स्थित है| मंदिर नासिक शहर से लगभग 28 किलोमीटर और नासिक रोड से लगभग 40 किलोमीटर दूर है। त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की सबसे अद्भुत बात यह है कि यहां पर स्थित शिवलिंग के तीन मुख हैं, जिन्हे ब्रहमा, विष्णु और रुद्र भगवान के रूप में माना जाता है| त्रयम्बकेश्वर मंदिर में सिर्फ सोमवार के दिन 4 से 5 बजे एक रत्नजडित मुकुट के दर्शन भी कराए जाते है, ऐसा माना जाता है की यह बेशकीमती मुकुट पांडवों के समय से मंदिर में है।

त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

पौराणिक कथाओ के अनुसार महर्षि गौतम अपने आश्रम में कुछ ब्राह्मणो के साथ निवास करते थे| एक बार आश्रम में निवास करने वाले ब्राह्मणो की पत्नियां किसी बात पर गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या से बहुत ज्यादा नाराज और क्रोधित हो जाती है। फिर सभी क्रोधित और नाराज पत्नियों ने अपने ब्राह्मण पति से सारी बात बता कर गौतम ऋषि का अपमान और आश्रम से निकालने के लिए प्रेरित किया। शुरू में ब्राह्मणो ने उनकी बात नहीं मानी बाद में वो सभी गौतम ऋषि को आश्रम से निकालने के लिए राजी हो गए, ब्राह्मणो के लिए गौतम ऋषि को निकलना संभव नहीं था इसलिए उन सभी ब्राह्मणों ने गणेश भगवान की आराधना शुरू कर दी, ब्राह्मणो की आराधना से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उन्हें दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। सभी ब्राह्मणों ने गणेश भगवान से गौतम ऋषि को आश्रम से बाहर निकालने की बात कही, गणेश भगवान वर देने के लिए विवश थे इसलिए उन्होंने उन सभी ऋषियों की बात मान ली|

फिर गणेश भगवान ने एक गाय का रूप धारण किया और गौतम ऋषि के खेत में घुसकर फसल खाने और बर्बाद करने लगे। खेत में गाय को फसल खाते देख गौतम ऋषि ने हाथ में डंडा लिया और गाय को वहां से भगाने के लिए खेत में पहुंचे| जैसे ही गौतम ऋषि ने गाय को भगाने के लिए डंडा उसके मारा लेकिन तभी डंडे के स्पर्श मात्र से ही गाय वहीं पर गिर कर मर गई। गाय की मृत्यु की खबर सुनते ही सभी ब्राह्मण खेत में एकत्रित हो गए और गौतम ऋषि को गौ हत्यारा कह कर उन्हें अपमानित करने लगे। गौतम ऋषि बहुत ज्यादा परेशान थे उन्होंने अपनी इस गलती के लिए वहां उपस्थित सभी ब्राह्मणों से प्रायश्चित करने का रास्ता पूछने लगें| गौतम ऋषि की बात सुनकर सभी ब्राह्मणो ने कहा की तुमने जो पाप किया है उससे मुक्ति पाने के लिए पहले आप तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करके यहां वापस आओ, फिर 1 महीने तक व्रत करो। उसके बाद ब्रम्हगिरी की 101 बार परिक्रमा करने से तुम्हारी शुद्धि हो सकती है और इसके साथ साथ आपको यहां पर गंगा जी को लाकर उनके जल से शिवलिंग का अभिषेक करके भगवान शिव की आराधना करो। सभी ब्राह्मणो ने गौतम ऋषि को उद्धार पाने के लिए ऐसे ऐसे कठिन मार्ग बताएं जो किसी के लिए पूर्ण कर पाना बहुत ज्यादा मुश्किल था|

लेकिन गौतम ऋषि ने बिना किसी संकोच के अपनी गलती का प्रायश्चित करने के लिए सभी जरुरी पूरे करने के बाद वो और उनकी पत्नी पूर्ण श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आराधना करने लगते है| कुछ समय बाद भगवान शिव गौतम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न हो जाते है और गौतम ऋषि को दर्शन देते है, भगवान शिव गौतम ऋषि से वर मांगने के लिए कहते है| महर्षि गौतम शंकर भगवान से कहते है की भगवान मुझसे कुछ नहीं चाहिए आप बस मुझे मेरे द्वारा हुई गौ हत्या के पाप से मुक्त कर दीजिए। भगवान शिव ने गौतम ऋषि से कहा की तुम्हारे द्वारा कोई पाप नहीं हुआ है, जिस पाप की तुम माफ़ी मांग रहे हो, वो तुम्हारे साथ छल किया गया था, भगवान शिव ने गौतम को बताया की तुम्हारे आश्रम के ब्राह्मणो ने कैसे छल किया अंत में भगवान शिव ने उन सभी ब्राह्मणो को दंड देने के लिए कहा| तब महर्षि गौतम ने कहा भगवान उनके इस छल की वजह से ही मुझे आपके दर्शन हुए आप उनकी भूल का माफ़ कर दें| फिर ऋषि गौतम ने भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा की प्रभु आप सदा के लिए यहीं पर निवास करें, गौतम ऋषि की प्रार्थना स्वीकार करते हुए भगवान शिव उसी जगह पर विराजमान हो गए, जिसे त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है|

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने का सबसे उपयुक्त समय

आप साल के किसी भी महीने में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने जा सकते है, लेकिन त्र्यंबकेश्वर की यात्रा करने के लिए सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से लेकर मार्च तक का माना जाता है, इस समय को यहां का पीक सीजन माना जाता है और भारी संख्या में भक्त इस सीजन में दर्शन करने पहुँचते है| जुलाई से सितंबर के बीच यहां आने भक्तो की संख्या कम होती है, आप त्र्यंबकेश्वर मंदिर अपने बजट और समयनुसार जा सकते है|

त्र्यंबकेश्वर कैसे पहुंचें

अगर आप त्र्यंबकेश्वर मंदिर जाने का विचार ट्रैन से बना रहे है तो हम आपको बता दें त्र्यंबकेश्वर में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। ट्रैन से जाने के लिए आपको त्र्यंबकेश्वर मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक रोड रेलवे स्टेशन पर पहुंचना पड़ेगा| भारत के किसी भी बड़े शहर से नासिक रेलवे स्टेशन पहुंचने के लिए आपको आसानी से ट्रैन मिल सकती है, नासिक रेलवे स्टेशन पर पहुँचने के बाद आप त्र्यंबकेश्वर मंदिर जाने के टैक्सी या कैब ले सकते है|

अगर आप फ्लाइट से त्र्यंबकेश्वर मंदिर जाने का विचार बना रहे है तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दें त्र्यंबकेश्वर में कोई हवाई अड्डा ना होने की वजह से आपको निकटतम हवाई अड्डा नासिक में पहुंचना होगा| नासिक हवाई अड्डे के लिए आपको लगभग सभी जगह से आसानी से फ्लाइट मिल सकती है, नासिक हवाई अड्डे पर पहुँचने के बाद टैक्सी या कैब किराए पर लेकर त्र्यंबकेश्वर मंदिर पहुंच सकते हैं।

अगर आप सड़क मार्ग से जाना चाहते है तो त्र्यंबकेश्वर मंदिर का सड़क मार्ग पूणे और मुंबई से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मुंबई और पुणे से मंदिर जाने के लिए आपको राज्य परिवहन की बस, लक्जरी बस या टैक्सी आसानी से मिल जाती है, जिनसे आप आसानी से त्रयंबकेश्वर पहुंच सकते हैं।

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