राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतकर भारत को गौरान्वित किया गीता फोगाट और बबिता फोगाट ने …

राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतकर भारत का सीना गर्व से चौड़ा करनी वाली गीता फोगाट और बबीता फोगाट भारत की वह महिला पहलवान है जो आज हर महिला की आदर्श बन चुकी है। हरियाणा के एक छोटे से गांव बिल्लाई में जन्मी इन फोगाट बहनों का जन्म  उस समय हुआ जब हरियाणा में लोग लड़की को बोझ समझते थे और उनके पैदा होने पर जश्न की जगह मातम मनाते थे। लेकिन किसे पता था कि जहां लोग लड़कियों को अभिशाप समझकर चौकी -चूल्हा कराते है। वहीं किसी घर में ऐसी लड़कियों  का जन्म होगा जो लोगों की इस विक्षिप्त मानसिकता को बदल कर रख देगा और देश का हर नागरिक अपने घर बेटी पैदा होने पर गर्व महसूस करेगा। 15 दिसंबर,1988 को जन्मी गीता फोगाट और 20 नवम्बर,1989 को जन्मी बबीता फोगाट वहीं दो लडकियां है ,जिन्होंने पहलवानी में कई पदक जीत कर लोगों को एहसास दिलाया कि लड़कियां बोझ नहीं है बल्कि वह हर क्षेत्र में पुरुषों से कन्धा से कन्धा मिलाकर चलने की ताकत रखती है।

पहलवान महावीर सिंह फोगाट की चार बेटियों में से उनकी दोनों बड़ी  बेटियां गीता और बबिता जब छोटी थी तभी महावीर सिंह ने उनके हाथों में गुड़ियों की जगह अखाड़े की मिट्टी पकड़ाई। दरअसल महावीर सिंह फोगाट अपने समय में खुद भी एक अच्छे पहलवान थे,लेकिन उन्हें उतना सम्मान न मिल सका जिसके वो हकदार थे। इसलिए महवीर सिंह ने तय किया कि वह अपनी बेटियों को इस काबिल बनाएंगे कि एक दिन पूरी दुनिया उनके आगे सर झुकायेगी। इसके बाद उन्होंने अपनी बेटियों की तकदीर खुद लिखनी शुरू की और पढाई के साथ-साथ उन्हें छोटी उम्र से ही खुद ही पहलवानी की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी।पिता के सपने को पूरा करने के लिए गीता और बबिता ने भी कठिन परिश्रम किया। दोनों बहने रोज सुबह दौड़ने जाती। कठिन व्ययाम करती और फिर घंटों अखाड़े में लड़को के साथ अभ्यास करती। इन सब वजहों से गीता और बबिता के साथ साथ उनके परिवारवालों को भी समाज के लोगों के कई उलाहने सुनने पड़ते थे। लोग उन्हें बेशर्म और बेहया तक कहने और समझने लगे थे। लेकिन इन सब का कोई असर गीता और बबीता पर नहीं पड़ा। उन्हें तो बस अपना लक्ष्य नजर आ रहा था। गीता -बबिता अपने पिता से पहलवानी के गुर सीख रही थी और अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम कर रही थी।

इस दौरान गीता और बबिता को साल 2009 में जालंधर में आयोजित कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने का मौका मिला। जिसमें  गीता ने 55 किग्रा की कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीतकर वह पहली पहलवान भारतीय महिला बन गई। वहीं बबिता ने भी यहां 51 किग्रा की कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीतकर अपने पिता का मान बढ़ाया। इसके बाद तो गीता और बबिता एक के बाद एक कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती गई। उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा इस प्रतियोगिता  के बाद  गीता पटियाला चली गई और वहां नेताजी सुभाष चन्द्र नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पोर्ट्स  कोच ओ पी यादव से ट्रेनिंग लेने लगी। साल 2010 में गीता और बबिता एक बार फिर सबके सामने आई नई दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम में। इस प्रतियोगिता में गीता ने  55 किलो ग्राम भार वर्ग में ऑस्ट्रेलिया के एमिली बेन्स्तेद को हराकर स्वर्ण पदक जीता था। जबकि इस प्रतियोगिता में बबिता को रजत पदक प्राप्त हुआ।दोनों बहनें नित्य नए सफलता के आयाम गढ़ कर देश का मान बढ़ा रही थी।
साल 2012 में गीता  गीता ने एफआईएलए (फिला एशियन ओलम्पिक क्वालिफिकेसन टूर्नामेट) में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। इसी साल वह विश्व कुश्ती चैंपियनशिप की प्रतिभागी रही और कास्य पदक जीता। इसी साल गीता ने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में एक और कास्य  पदक जीता है। साल 2013 में गीता फोगाट ने, जोहांसबर्ग में आयोजित कॉमन वेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में 59 किलो वर्ग में रजत पदक जीता  और साल 2015 में  दोहा में आयोजित एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में गीता ने 58 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता था।

वहीं उनकी छोटी बहन बबिता फोगाट  साल 2011 कॉमनवेल्थ कुश्ती चैम्पियनशिप में 48 किलो ग्राम के फ्रीस्टाईल में स्वर्ण जीतने के बाद साल 2012 में वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप में हिस्सा लिया जहां उन्हें कांस्य पदक प्राप्त हुआ।2013 एशियन कुश्ती चैम्पियनशिप टूर्नामेंट जोकि दिल्ली में आयोजित हुआ था, उसमे 55 किलो ग्राम के फ्रीस्टाईल कुश्ती में बबिता को कास्य पदक प्राप्त हुआ। इसके बाद साल 2014  में स्काटलैंड के ग्लास्गो में आयोजित कामनवेल्थ गेम्स में बबिता ने 55 किग्रा भार वर्ग में फ्रीस्टाइल कुश्ती में कनाडा की महिला पहलवान ब्रितानी लाबेरदूरे पहलवान को हराकर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता। 2015  में बबीता ने एशियन कुश्ती चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया लेकिन वह फ़ाइनल में नहीं पहुंच पाई। 2016 के रियो ओलिंपिक  में उन्होंने अपने चचेरे भाई विनेश फोगाट के साथ भारत का प्रतिनिधित्व किया लेकिन इस प्रतियोगिता में भी वह क्वालीफाई नहीं हो पाई। लेकिन साल 2018 में बबीता ने कॉमनवेल्थ गेम में अच्छा प्रदर्शन किया और रजत पदक जीता।

पहलवानी के अलावा गीता और बबिता टेलीविजन के कई कार्यक्रमों में भी हिंसा ले चुकी है। गीता कलर्स टीवी के शो फियर फैक्टर : खतरों के खिलाडी सीजन 8 ,  बिग आर्टिकल 11 और नच बलिये जैसी शो की प्रतिभागी भी रह चुकी है। वहीं बबिता साल 2019 में डांसिंग शो नच बलिये की प्रतिभागी रह चुकी है। इसी साल बबिता ने राजनीति में भी कदम रखा और भाजपा की सदस्य्ता ग्रहण की।

गीता और बबिता दोनों वैवाहिक जीवन में बंध चुकी है। गीता फोगाट 20 नवम्बर,2016 को पहलवान कुमार से शादी कर ली। नवम्बर 2019 में ये दम्पति एक बेटे के माता-पिता बने। वहीं गीता फोगाट ने भी  नवम्बर 2019 में अपने बॉयफ्रेंड विवेक सुहाग से शादी कर ली। गीता -बबिता ने अपने कठिन परिश्रम और प्रतिभा की बदौलत आज दुनिया की कई महिलाओं की आदर्श बन चुकी है। दोनों की जिंदगी पर आधारित एक फिल्म भी बन चुकी है,जो साल 2016 में रिलीज हुई थी। नितेश तिवारी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में आमिर खान ने गीता-बबिता के पिता महावीर सिंह फोगाट का रोल निभाया था जबकि गीता के किरदार में अभिनेत्री फ़ातिमा सना शेख और बबिता के किरदार में सान्या मल्होत्रा ने शानदार भूमिका निभाई। इस फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर  सुपरहिट रही।

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