मुश्किलों में एक सच्चा दोस्त हमारे साथ चलता है, जब सभी हमें छोड़ जाते हैं ……

हर मनुष्य के जीवन एक खास दोस्त यानी मित्र जरूर होना चाहिए जो जीवन की हर कठिनाइयों में उसके साथ खड़ा रहें। हमारे बुरे समय में भी हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आये। वैसे तो आज के ज़माने में कई प्रकार की मित्रता है I एक मित्रता फायदे के लिए होती है, जब फायदा दिखाई दे तब मेरा मित्र | दूसरी मित्रता रूचि-आदतों की वजह से होती है, एक बीड़ी पीने वाले की दोस्ती दूसरे बीड़ी पीने वाले से तुरंत हो जाती है I और एक मित्रता, सिद्धांतों के लिए होती है | लेकिन एक मित्रता दैवी होती है, जिस्मने एक -दूसरे का कोई स्वार्थ नहीं, कोई फायदा नहीं, फिर भी अच्छे मित्र | एक बार मित्रता कर ली, फिर दुनिया की कोई ताकत उसे तोड़ नहीं सकती | एक अच्छे दोस्त के होते, व्यक्ति कभी तन्हा नहीं रहता | लेकिन समस्या यह है कि, क्या हम ऐसी मित्रता करते हैं ?….

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं, जो विभिन्न भावनाओं जैसे मातृत्व, भ्रातृत्व, पितृत्व, मित्रवत, प्रेम के सहारे अपनत्व की भावना के साथ जीवन जीता हैं। ये सम्बन्धों की भावनायें गहनों की तरह होती है , जो रिश्तों की बगिया में खुशी के फूलों की तरह सुगंध बिखेरता हुआ कभी पूरा जीवन खुशमय बना देते हैं तो कभी बोझ बनकर इंसान को झुका देते हैं । ग्रीक ड्रामा लेखक कहते हैं “एक वफादार दोस्त हजार रिश्तेदारों से बेहतर है।” इसलिए मित्रता के रिश्ते का महत्व काफी ज्यादा है। मित्रता बचपन में शुरू होकर अंतिम सांस तक बनाई और निभाई जाती हैं।

मित्रता के सम्बन्ध में कहा गया है कि, जिस तरह शिशु को अपने खिलौने से गहरा लगाव होता है, ठीक वैसा ही लगाव मित्र से होता है। वह नन्हा बालक एक निर्जीव वस्तु को भी अपना साथी समझकर भावनात्मक रूप से जुड़ जाता हैं और कभी- कभी उससे बातें करता है। अच्छा न लगने पर उसे मारता भी हैं। पर सजीवता की समझ विकसित होने के बाद बच्चे के लिए खिलौने की जगह उसका मित्र ले लेता है और मित्रता का सिलसिला आगे बढ़ता है। किसी नें सही कहा है, “दोस्त वह जो आपका अतीत जानता है, आपके भविष्य में भरोसा करता है और आपको उसी रूप में अपनाता है जैसा आप हैं”|

कई रिश्ते हमारे जन्म के साथ ही जुड़ जाते हैं, लेकिन मित्रता एक ऐसा रिश्ता हैं जो हम खुद बनाते हैं और निभाते हैं। जीवन में अच्छे और सच्चे मित्र या दोस्त की कमी जिंदगी को नीरस बना देती है। डच अमेरिकन टेलीविजन के जाने माने सखसियत योलांडा हैडिड का कहना है, “मैंने जाना है कि दोस्ती में यह मायने नहीं रखता कि आप किस को कितने लंबे समय से जानते हैं, बल्कि यह मायने रखता है कि कौन आपकी जिंदगी में आकर दुबारा कभी नहीं गया।” मित्रता एक ऐसी दवाई की तरह है जो सभी बीमारी में काम आती है और एक सच्चे हमदर्द की तरह जीवन भर अच्छे भले की पहचान करता हुआ जीवन की राहों को आसान बनाता जाता है। इंगलिश कवि चार्ल्स लैंब कहते हैं, “दोस्ती में ही ऐसा हो सकता है कि आप बेमतल की बातें करें और तब भी कोई उन्हें सम्मान के साथ सुने।”

पारिवारिक या रक्त सम्बन्धों की तुलना में मित्रता इसलिए अहम है, क्योंकि इसमें लोभ का कोई स्थान नहीं है। यह ईमानदारी एवं सच्चाई की बुनियाद पर खड़ा आनन्द की खान है, जो यदि सही से संभाला गया तो समय के साथ- साथ गहरा होता जाता है और जीवन को सार्थक बना देता है। साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था , “मित्रता की गहराई परिचय की लंबाई पर निर्भर नहीं करती!” बचपन में शुरू हुई मित्रता अधिक पवित्र, लोभ रहित तथा आनंद से परिपूर्ण होती है। यह मनभावन होती है किन्तु किशोरावस्था में गंभीर, दृढ तथा शांत स्वरूप धारण कर लेती है। इंग्लिश इतिहासकार थॉमस फुलर कहते हैं, “अगर आपके पास एक सच्चा दोस्त है तो समझिए आपको आपके हिस्से से अधिक मिल गया।”

एलिनॉर रूजवेल्ट का कहना है, “जिंदगी में बहुत से लोग आएंगे-जाएंगे, लेकिन केवल सच्चा दोस्त ही आपके दिल में अपनी छाप छोड़ जाएगा!” जो बातें या दर्द हम किसी से नहीं बांट सकते उसे हम मित्र के साथ बांटते हैं । कई बार अपने रिश्तेदारों में ही हमें सच्चा मित्र मिल जाते है , और अक्सर ऐसा रिश्ता भाई -बहन या भाई -भाई या फिर बहन -बहन में होता है जो एक -दूसरे की तकलीफों को समझ कर उसे दूर करने का प्रयास करते हैं ।कई बार बच्चों के माता- पिता उनके बहुत अच्छे मित्र बन जाते हैं।

अमेरिकन बैले डांसर मिस्टी कोपलैंड अपना अनुभव बताती है कि, “जब आपके जीवन में आपकी मदद करने वाले सच्चे दोस्त हों तो जीवन में कुछ भी संभव हो सकता है!” लेकिन कई बार लोग मित्रता की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाते क्योंकि जो मित्रता धन, दौलत, रूप, प्रतिभा आदि के वशीभूत होकर की जाती हैं, वह एक दिन निश्चय ही एक गलती के रूप में हमारे सामने आती है। अमेरिकन फिलासफर हेनरी डेविड थोरो कहते हैं, “सच्ची दोस्ती में सच्चाई झेलने की हिम्मत होती है।” इसलिए महान सुकरात कहते हैं, “दोस्त बनाने में धीमे रहिए, लेकिन जब दोस्ती हो जाए तो उसे हमेशा के लिए दृढ़ता से निभाइए।”

युवावस्था में व्यक्ति की भावना सामाजिक बंधनो से घिरी होती है और मित्रता की पवित्र भावना का गुण बेहद कम हो जाता हैं इसलिए मित्रता बेहद सतर्कता के साथ निभाई जाती हैं, क्योंकि इस उम्र में पड़ी दोस्ती की नींव पूरे जीवन काल तक साथ रहती है । अमेरिकी प्रेसिडेंट और लीडर वुडरो विल्सन कहते हैं, “केवल दोस्ती के सीमेंट से दुनिया जोड़ी जा सकती है।” हमारे ग्रंथों में मित्रता के कई महत्वपूर्ण उदाहरण है। भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा तथा दुर्योधन एवं कर्ण की मित्रता, भगवान श्री राम और सुग्रीव की मित्रता के उदहारण सदियों से दिया जा रहे हैं, जहां पर एक व्यक्ति अपने मित्र के लिए अपनी जान न्योछावर करते हुए नजर आते हैं । हमारे ग्रन्थ और वेद-उपनिषद सिर्फ घर मे रखने के लिए या सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं हैं, बल्कि उनके शब्दों को, उनके चरित्रों को, हमारे जीवन में साकारित करना है I ठोकर किसी को लगे और दर्द किसी ओर को हो, तो समझो कि यह ही सच्ची मित्रता है I

मित्रता ऐसा अनमोल खजाना जो यदि सही व्यक्ति से की जाए और पूरी ईमानदारी से निभाई जाए तो वह संजीवनी का रूप ले लेती हैं, पर किसी आसक्ति से वशीभूत होकर की गई मित्रता जहर बन जाती है। क्यूंकि ऐसे व्यक्ति मित्रता की आड़ में सारे राज जान जाते हैं और फिर उसका गलत फायदा उठाते हैं। अमेरिकन लेखक जिग जिगलर कहते हैं, ‘‘यदि आप दोस्त बनाने निकलेंगे तो आपको बहुत कम दोस्त मिलेंगे। यदि आप दोस्त बनने निकलेंगे तो हर जगह आपको दोस्त मिलेंगे।” इंग्लिश लेखक और चिंतक विलियम पेन ने भी कहा, ‘‘सच्चा मित्र सही सलाह देता है, तुरंत आपकी सहायता करता है, पूरे धैर्य और साहस से आपके साथ खड़ा होता है, और बिना खुद को बदले आपका मित्र बना रहता है।”

व्यक्तित्व निर्माण में मित्र की भूमिका अहम होती है और ऐसा देखा जाता है कि व्यक्ति स्वयं जैसा होता है वह अपने जीवन में मित्र भी वैसा ही चुनता है। और अगर उससे कुछ गलत होता है, तो समाज उसके मित्रों को भी समान रूप से उस गलती का भागीदार समझता है । कुछ लोग यह भ्रम पाल लेते हैं कि साथ- साथ रहने वाला ही मित्र होता है, जबकि सच्चा मित्र साथ- साथ नहीं रहते हुए भी एक जैसा कार्य करते हैं और इससे बढ़कर वह सदैव हमारे शुभचिंतक तथा हमारी प्रगति तथा विनाश में भी भागीदार होकर साथ देते हैं । किसी ने ठीक ही कहा है , “मित्र एक ऐसा चोर होता है, जो आंखों से आंसू, चहरे से परेशानी, दिल से मायूसी, जिन्दगी से दर्द, और अगर उसका बस चले तो, हाथों की लकीरों से मेरी मौत भी चुरा ले” I

सुविख्यात कवि रहिमदास द्वारा एक चर्चित दोहे में कहा गया है,
टूटे सुजन मनाइए, जो टूटे सौ बार। रहिमन फिर-फिर पोइए, टूटे मुक्ताहार।

इसका अर्थ है सच्चे मित्र जितनी बार रूठे उन्हें मना लेना चाहिए, ठीक उसी प्रकार जैसे मोतीयों की माला के टूट के बिखर जाने पर हम उन्हें बार-बार पिरोते हैं, क्योंकि वह मूल्यवान होता है, ठीक उसी प्रकार सच्चे मित्र भी किसी मूल्यवान मोतियों की माला के जैसे ही होते हैं। इसलिए उन्हें खोना या टूटने नहीं देना चाहिए। यदि गलती से टूट भी गया तो फिर से पिरो लेना चाहिए। अमेरिकन लेखक राल्फ वाल्डो एमर्सन कहते हैं, “पुराने दोस्तों के साथ ही ऐसा हो सकता है कि आप अपनी बेवकूफी में भी उनके साथ सहज महसूस करें!”

महापुरूष परमहंस योगानंद का कथन है, “आपके हृदय में एक चुंबक होता है जो सच्चे मित्रों को आपकी ओर आकर्षित करता है। वह चुंबक है आपकी निःस्वार्थता और दूसरों के बारे में पहले सोचने का स्वभाव। जब आप दूसरों के लिए जीना सीख लेते हैं, तब दूसरे आपके लिए जीने लगते हैं!” अपने मित्रों को खास महसूस कराने के लिए तथा मित्रता को खुशी के रूप में मनाने के लिए, पूरे विश्व में अगस्त के पहले रविवार को “फ्रेंडशीप डे” के मनाया जाता है। कहा जाता है, 1935 में अमेरिकी सरकार द्वारा एक व्यक्ति को सजा के रूप में फांसी दी गई। इससे उस व्यक्ति के दोस्त को इतना दुख पहुंचा की उसने भी आत्महत्या कर लिया। अमेरिकी सरकार ने उस व्यक्ति के भावनाओं की कद्र करते हुए, उस दिन को दोस्तों के नाम कर दिया तब से “फ्रेंडशीप डे” की शुरूआत हुई। कहा भी गया है, मित्रता सच्ची हो तो जान देती है, समुद्र में गिरे आंसू भी पहचान लेती है।

स्पेनिस लेखक बाल्टासर ग्रैसियन के अनुसार, “सच्ची दोस्ती से जिंदगी में सुंदर चीजें बढ़ती हैं और बुरी चीजें कम होती हैं। दोस्त बनाने का यत्न कीजिए, क्योंकि दोस्तों के बिना जीवन निर्जन द्वीप की तरह है। सच्चा दोस्त जीवन का वरदान होता है और उसे संभालकर रखना हमारा सौभाग्य!” फिटनेस कोच लेन वेन कहते हैं, ‘‘जीवन को उत्साहित, हर्ष, उल्लास, खुशी, तथा शोक बिना किसी स्वार्थ के जो बांट सके वहीं व्यक्ति का सच्चा मित्र है। ‘‘सच्चा दोस्त वह होता है जो तब आपके साथ होता है जब उसे कहीं और होना चाहिए था।”इंगलिश नाटक लेखक बसॉमरसेट मॉम कहते हैं, ‘‘जब आप दोस्त बनाएं तो व्यक्तित्व के बजाए चरित्र को महत्व दें।”

सच्चे मित्र की परख तब होती है जब वो आपके बुरे वक्त में साथ हो। अमेरिकन कोलम लेखक वाल्टर विंचेल कहते हैं, “सच्चा दोस्त आपके साथ चलता है जब सभी आपको छोड़ जाते हैं।” ब्रिटिश पर्फयुम हाउस के संस्थपक विलियम पेन कहते हैं ‘‘सच्चा मित्र सही सलाह देता है, तुरंत आपकी सहायता करता है, पूरे धैर्य और साहस से आपके साथ खड़ा होता है और बिना खुद को बदले आपका मित्र बना रहता है।”कैनेडियन राइटर डेविड टाइसन कहते हैं, “असल दोस्ती तब समझिए जब दो लोगों के बीच चुप्पी सहज लगे!” मित्रता के सम्बन्ध से केवल सुख और आनंद की कामना करना मित्रता नहीं होती। विपत्ति काल में भी सहारा बनकर हर तरह से अपने दोस्त का मदद करने वाला ही सच्चा मित्र होता है।

अगर हमें फ्रेंडशिप डे को मनाना है तो, सिर्फ बेल्ट बांधकर या गिफ्ट देने से कुछ नहीं होगा I आज के दिन हमें सोचना पड़ेगा कि, क्या मेरे पास ऐसा कोई एक मित्र है, जो मेरे आंसू को पहचान सकें ?…. क्या मै किसी का ऐसा मित्र बन सका हूं, जिसके लिए मै अपना सबकुछ खो सकता हूं और रिश्ता निभा सकता हूं ?… क्या ऐसा कोई है, जो मेरी जिन्दगी में हमेशा मुझे साथ देने के लिए तैयार है ? …. अगर ऐसा है तो मेरा फ्रेंडशिप डे मनाना बिलकुल ठीक है, लेकिन अगर ऐसा कोई मित्र नहीं है, तो जीवन में ऐसा ही कोई मित्र अवश्य मिलें जो मुश्किल वक्त में हमेशा साथ रहे और इसके लिए भगवान से प्रार्थना करें |

हमारी भारतीय संस्कृति में कहा गया है कि,

चन्दनं शीतलं लोके, चंद्नाद्पि चंद्रमा :
चन्द्रचंदनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगति :

अर्थात, इस दुनिया में चंदन को सबसे अधिक शीतल माना जाता है, पर चंद्रमा- चंदन से भी अधिक शीतल होती है, लेकिन अच्छा मित्र चंदन और चन्द्रमा दोनों से अधिक शीतल होता है |

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