नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को माना जाता है, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर गुजरात के द्वारका में स्थित है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन और भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए लाखो भक्त हर साल यहां आते हैं। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भगवान् शिव की 25 मीटर ऊंची प्रतिमा के साथ साथ सुंदर बगीचे और नीले सागर दृश्य यहां आने वाले सभी पयर्टकों को मोहित कर देता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास 

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है एक जंगल में दारुक नामक राक्षस और उसकी पत्नी दारुका जंगल में रहते थे| दारुका ने ने घोर तपस्या करके माँ पार्वती को प्रसन्न किया था और उनसे वरदान प्राप्त किया था की वो उस पूरे वन को अपने साथ किसी भी स्थान पर ले जा सकती है| माँ पार्वती से वरदान प्राप्त करने के बाद दोनों पति पत्नी ने सम्पूर्ण वन में उथल-पुथल मचानी शुरू कर दी, जिसकी वजह से वन में रहने वाले और वन के आस-पास के सभी इंसान बहुत ज्यादा परेशान हो गए, अपनी परेशानी का समाधान कराने के लिए वो सभी महर्षि और्व के आश्रम गए और वहाँ पर महर्षि और्व को दारुका और दारुक राक्षस के बारे में बताकर समाधान की प्रार्थना की।

महर्षि और्व ने सभी लोगों की बात सुनने के बाद सभी इंसानो की रक्षा हेतु सभी राक्षसों को श्राप दिया कि कोई भी राक्षस पृथ्वी लोक पर हमला या हिंसा करेगा या फिर किसी भी यज्ञ में अगर बाधा डालेगा तो वह उसी समय नष्ट हो जाएगा| महर्षि के श्राप के बाद सभी लोग प्रसन्न हो गए, कुछ समय बाद देवताओं को महर्षि के श्राप का पता चला तो उन्होंने भी राक्षसों पर हमला कर दिया, इस आक्रमण से सभी राक्षस बहुत परेशान हुए क्योंकि अगर वो देवताओ से लड़ते है तो महृषि के श्राप की वजह से तुरंत नष्ट हो जाएंगे और अगर वो युद्ध नहीं करते है तो देवताओ से हारे हुए माने जायेंगे।

तब इस परेशानी का हल दारुका ने निकाला और वन को अपने साथ उड़ा कर समुद्र के बीच में स्थित कर दिया| समुद्र के बीच में सभी राक्षस आराम से जीवन यापन करने लगे, लेकिन एक दिन बहुत सारी नावों पर सवार मनुष्य उस जंगल की तरफ आते हुए दिखाई दिए| जैसे ही मनुष्य उस जंगल में पहुंचे तो राक्षसो ने मिलकर उन सभी मनुष्यों को बंधक बना दिया, सभी बंधक मनुष्यो में एक एक सुप्रिय नाम का शख्स भी थी जो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। सुप्रिय वैश्य जाती का था,बंधक बनाए जाने के बाद भी वो कारावास में भी भगवान शिव पूजा और अर्चना नियमित रूप से करता था|

सुप्रिय हमेशा भगवान शिव की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करता था। धीरे धीरे सुप्रिय को देख अन्य बंधकों ने भी भगवान शिव की पूजा करना सिख लिया और फिर सभी नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा करते थे| जब दारुक राक्षस को इस बात का पता चला तो उसने सुप्रिय को बुलाकर कहा कि अगर तुम भगवान शिव की पूजा करना बंद नहीं करोगे तो मैं तुम्हे जान से मार दूंगा।

दारुक राक्षस की बात सुनकर सुप्रिय ने उसके सामने ही भगवान शिव को स्मरण किया, अपने भक्त को कष्ट और उसके प्राण संकट में देखते हुए भगवान शिव तुरंत दारुक के सामने उपस्थित हो गए और भगवान शिव ने पलक झपकते ही सभी राक्षसों को समाप्त कर दिया। यह देखकर दारुक राक्षस बहुत भयभीत हो गया और वो तुरंत अपनी पत्नी दारुका के पास पहुंचा।

राक्षसों को नष्ट करने के बाद भगवान शिव ने सुप्रिय को यह वरदान दिया कि आज के बाद चारों वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य और शूद्र अपने अपने धर्म का पालन करेंगे और यहाँ पर राक्षसों का कोई स्थान नहीं होगा। भगवान शिव का यह वरदान सुनकर दारुका राक्षसनी बहुत ज्यादा भयभीत हो गयी और उसने तुरंत माँ पार्वती की स्तुति करनी शुरू की, दारुका ने माँ पार्वती से अपने वंश की रक्षा करने के प्रार्थना की| माँ पार्वती जी ने दारुका को आश्वासन दिया और भगवान शिव से पूछा कि इन राक्षसों के बच्चे कहाँ रहेंगे, इसीलिए मैं चाहती हूँ कि वो भी इसी वन में रहे। आगे माँ पार्वती ने कहाँ की मैंने ही दारुका राक्षसी को इस वन में रहने का वरदान दिया था, इसीलिए आप राक्षसों को भी आश्रय देने की कृपा करें|

माँ पार्वती की बात सुनने के बाद भगवान शिव ने राक्षसो को भी वन में रहने की अनुमति देने के साथ कहा की अपने सभी भक्तों की रक्षा करने के लिए मैं भी यहाँ सदा के लिए विराजमान रहूँगा| आगे भगवान शिव ने कहा कि किसी भी धर्म का इंसान पूर्ण भक्ति- भावना से मेरी पूजा अर्चना करेगा उसकी मनोकामना जल्द पूर्ण होने के साथ साथ जीवन सुखमय हो जाएगा| बस तभी से भगवान शिव अपने भक्तो का उद्धार करने के लिए नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गए।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने का सबसे उपयुक्त समय

अगर आप नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का विचार बना रहे है तो आपके लिए सर्दियों के दिन सबसे ज्यादा उपयुक्त होते हैं, अर्थात अक्टूबर से फरवरी के बीच आप कभी भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने जा सकते है| लेकिन अगर आप गर्मियों में जाने का विचार बना रहे है तो सोच समझ कर जाएं क्योंकि गर्मियों में वहाँ का तापमान काफी ज्यादा रहता है|

 नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात कैसे पहुंचे

अगर नागेश्वर ट्रैन से जाने का विचार बना रहे है तो आपको ट्रेन से द्वारिका स्टेशन पर पहुंचना होगा, द्वारका से नागेश्वर की दूरी लगभग 17 किलोमीटर है,द्वारिका से आप बस या टेक्सी के द्वारा नागेश्वर पहुँच सकते है| अगर आप फ्लाइट से जाना चाहते है तो द्वारिका में कोई एयरपोर्ट नहीं है, इसीलिए अगर आप फ्लाइट से जाना चाहते है तो आपको जामनगर एयर पोर्ट पर पहुंचना होगा,फिर वहाँ से आप बस या कैब अपनी सुविधानुसार लेकर नागेश्वर पहुँच सकते है|

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर खुलने का समय

मंदिर में भक्त सुबह 6 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और फिर शाम को 5 से रात 9 बजे तक दर्शन कर सकते हैं। ज्योतिर्लिंग में दर्शन करने से पहले पुरूषों को अलग वस्त्र धारण करने होते है, अंदर पहनकर जाने वाले वस्त्र मंदिर कमेटी के द्वारा ही उपलब्ध कराए जाते हैं।

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