दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपतियों की लिस्ट में शुमार पलोनजी मिस्त्री एक ऐसा नाम है, जो अरबपतियों की सूची में होने के बावजूद गुमनाम है। भारत के
सबसे सफल और ताक़तवर कारोबारियों में से एक पलोनजी को शायद ही किसी सार्वजनिक जगह पर देखा या सुना जाता है।वह भारतीय मूल के एक आयरिश अरबपति, कंस्ट्रक्शन टाइकून और शापूरजी पालोनजी ग्रुप के अध्यक्ष हैं, तथा सबसे अमीर आयरिश व्यक्ति हैं। साल 1929 में जन्मे पलोनजी का पूरा नाम पलोनजी शापूरजी मिस्त्री है। एक पारसी परिवार में जन्मे पलोनजी के पूर्वज मूल रूप से गुजरात के थे, जो बाद में मुंबई जाकर बस गए थे।
पलोनजी मिस्त्री की शुरूआती पढ़ाई मुंबई के ही कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल से हुई, इसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने इंपीरियल कॉलेज, लंदन से की थी। पलोनजी के पिता शापूरजी भी एक कारोबारी थे, जिन्होंने साल 1865 में कंस्ट्रक्शन के मामले में, अग्रणी कंपनी शापूरजी पलोनजी ग्रुप की शुरूआत लिटिलवुड पालोनजी के तौर पर की थी। दरअसल शापूरजी ने इस कंपनी का नाम अपने पिता पलोनजी के नाम पर रखा था और उन्होंने अपने बेटे का नाम भी अपने पिता के नाम पर पलोनजी ही रखा।
अपने पिता के नाम पर शुरू की गई इस कम्पनी का पहला प्रोजेक्ट मुंबई की गिर गांव चौपाटी में फुटपाथ बनाने का था। इसके बाद टाटा ग्रुप के लिए इस कंपनी ने कंस्ट्रक्शन का काम किया। कहा जाता है कि टाटा समूह के पास उन्हें देने के लिए पैसे नहीं थे, तो उन्होंने अपनी कंपनी के कुछ शेयर उन्हें दे दिए।बाद में शापूरजी की इस कंपनी ने टाटा ग्रुप के लिए ऑटोमोबाइल फ़ैक्टरी और स्टील प्लांट का निर्माण किया।साल 1935 में शापूरजी ने टाटा संस में 12.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाली एक कंपनी खरीदी और इस कंपनी के शेयर शापूरजी पालोनजी ग्रुप को हस्तांतरित कर दिए और कंपनी को आगे बढ़ाया।
लेकिन साल 1975 में शापूरजी का निधन हो गया। जिसके बाद इस कंपनी की पूरी बागडोर उनके बेटे पलोनजी ने अपने हाथों में ले ली। इसके बाद वह अपने पिता की मेहनत से खड़ी की गई कंपनी शापूरजी पलोनजी ग्रुप को सफलता की ऊँचाइयों पर पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत और संघर्ष करने लगे। परिणामस्वरूप साल 1976 में इस कंपनी को पहली विदेशी परियोजना के तहत ओमान के सुल्तान का महल बनाने का काम मिला था। इसके बाद कंपनी ने घाना के राष्ट्रपति का महल भी तैयार किया। इसमें कोई दो संदेह नहीं की पलोनजी की मेहनत के बदौलत कंपनी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी थी। इसके अलावा इस कंपनी ने मुंबई के बहुचर्चित होटल ताज इंटरकांटिनेंटल, भारतीय रिजर्व बैंक बिल्डिंग, एचएस बीसी बिल्डिंग,दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम आदि कई प्रसिद्ध जगहों का निर्माण किया है।
शापूरजी पालोनजी ग्रुप (एसपीजी) एक ऐसी कंपनी है जो टेक्सटाइल से लेकररियल स्टेट, हॉस्पीटेलिटी और बिज़नेस ऑटोमेशन जैसे व्यापार से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में शापूरजी पालोनजी ग्रुप के अंतर्गत आने वाली प्रमुख कंपनियों में शापूरजी पालोनजी इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन, ऐफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर, फ़ोर्ब्स टेक्सटाइल्स, देश का अग्रणी वाटर प्यूरीफायर ब्रांड यूरेका फोर्ब्स, फोर्ब्स एंड कंपनी, शापूरजी पालोनजी कंस्ट्रक्शन मटीरियल्स ग्रुप, शापूरजी पालोनजी रियल स्टेट और नेक्स्ट जेन आदि का नाम शामिल हैं।
इतने बड़े बिज़नेस को संभालने के अलावा पलोनजी ने साल 1960 आई दिलीप कुमार, मधुबाला, पृथ्वी राज कपूर एवं दुर्गा खोटे अभिनीत ऐतिहासिक
फिल्म ‘मुगल-ए-आज़म‘ को प्रोड्यूस भी किया, लेकिन इस फिल्म की जबर्दस्त सफलता के बावजूद, पलोनजीने फिल्मी दुनिया से किनारा कर लिया। इसके बाद वह पुनः अपने कंस्ट्रक्शन के काम को आगे बढ़ाने में लग गए और जल्द ही उनकी मेहनत रंग लाई। लगभग 150 साल पुरानी पलोनजी की कंपनी ने भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी और सफल कंपनी की लिस्ट में शुमार हो गई। पलोनजी आज भारत के सबसे अमीर पांच व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल हैं,जबकि वह आईलैंड के सबसे अमीर आदमी माने जाते है। साल 2012 में पलोनजी ग्रुप के चेयरमैन पद से इस्तीफ़ा दे चुके है, लेकिन नियंत्रण अब भी उन्हीं का है।
पलोनजी को साल 2016 में देश में निवेश क्षेत्र में दिए गए, उनके योगदानों के लिए भारत सरकार की तरफ से पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें भारत के दिवंगत राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जीने प्रदान किया था। नितांत निजी जीवन जीने वाले पलोनजी को ‘बॉम्बे हाउस का फैंटम’ कहा जाता है।पलोनजी की निजी जिंदगी की बात करे तो उन्होंने पैट्सी पेरिन दुबाश से शादी की हैं और इनके चार बच्चे हैं,जिसमे से एक सायरस मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन रह चुके हैं, जिन्हे साल 2016 में इस पद से हटा दिया गया था।जिसके बाद टाटा संस कंपनी और सायरस मिस्त्री के बीच विवाद जारी है।
वहीं पलोनजी के बड़े बेटे शपूर पलोनजी मिस्त्री अपने पिता के बिज़नेस को बड़ी ज़िम्मेदारी से निभा रहे है और शापूरजी पलोनजी ग्रुप चेयरमैन के पद पर कार्यरत हैं। पलोनजी ने देश की उन्नति में चुपचाप अपना योगदान दिया।यह कहना गलत नहीं होगा कि पलोनजी ने अपनी सकारात्मक सोच और मेहनत की बदौलत सफलता की ऊँचाइयों को छुआ है और अपनी पहचान बनाई है। पलोनजी आज जिस मकाम पर है, वह हर किसी को जीवन में नकारात्मकता त्याग कर संयम के साथ हमेशा आगे बढ़ने की सीख देता है।