जो स्वप्न देखा वो पूरा किया….. हेन्री फोर्ड

फोर्ड ने पहली ऑटोमोबाइल कंपनी विकसित की और निर्मिती भी की | अमेरिका के मध्यम वर्ग के लोग उसे आसानी से ले सकते थे | उनके द्वारा निर्मित ऑटोमोबाइल कंपनी को उन्हीं के उपनाम पर रखा गया था | कम समय में यह कंपनी दुनिया में अपनी पहचान बना ली | यह  साधारण ऑटोमोबाइल कंपनी शीघ्र ही बहुमूल्य कार  बनाना शुरू किया और बीसवीं शताब्दी में अपनी एक प्रभावशाली छाप छोड़ी |  उसके बाद उन्होंने माडल टी नामक गाड़ी निकाली जिसने यातायात और अमेरिकी उद्योग में क्रान्ति ला दी |  फोर्ड कंपनी के मालिक के रूप में वे संसार के सबसे धनी एवं विख्यात व्यक्तियों में से एक थे |

हेन्री फोर्ड का जन्म 30 जुलाई 1863 को मिशिगन के ग्रीनफील्ड फ़ार्म में हुआ था |   असल में उनका परिवार इंग्लैंड के सामरसेट से था | फोर्ड के 15 साल की आयु में ही  उनके माता-पिता की मृत्यु हो गयी थी |  किशोरे अवस्था में उनके  पिता जी ने उन्हें एक जेब घडी दी थी | पिता की मृत्यु के बाद वे पूरी तरह गिर चुके थे | लेकिन दोस्त और पड़ोसियों  की सहायता से वे फिर से उठकर खड़े हुए  और उन्होंने घड़ी ठीक करनेवाले के रूप में  अपनी पहचान बनायी |

फोर्ड ने क्लारा जेन ब्रायंट से 11 अप्रैल 1998 को शादी की | पत्नी की सहायता से वे एक सॉमिल भी चलाते थे | एड्सेल फोर्ड उनका बेटा  का नाम है | पांच वर्ष की आयु में  कस्बे के एक स्कूल में फोर्ड की पढ़ाई शुरू हुई |  पांचवीं क्लास के बाद आगे की पढाई के लिए उन्हें  घर से  ढाई किलोमीटर  पैदल चलना  पड़ता था | पिता की इच्छा थी कि हेन्री एक किसान बने | पर हेन्री का दिमाग दूसरी दिशा में व्यस्त रहता था | वे पड़ोसियों की घडी सुधारने लगे  थे |

शुरुयाती दौर में घडी सुधारने वाले हेन्री फोर्ड ने  मोटर कार का आविष्कार तथा उसमें आधुनिक सुधार की भूमिका निभाई | पिता की इच्छा के विरुद्ध हेन्री, डेट्राइट चले आये और एक कारखाने में काम करने लगे | लेकिन वहाँ की आमदानी से कार बनाने के सपने को साकार नहीं कर सकते थे | अतः एक सुनार थे  | डेट्राइट में रहते हुए कुछ ही समय हुए थे कि पिता जी की तबियत ख़राब होने का सन्देश आया | उन्हें वापस घर जाना पड़ा | खेत की पूरी जिम्मेदारी अब हेन्री के कंधे पर आ गयी  थी |

16 वर्ष  की उम्र में हेन्री घर छोड़कर डेट्राइट चले गए | यहाँ कई कारखानों में काम करके यांत्रिक विद्या का ज्ञान प्राप्त किया |  सन 1886 में ये पुनः घर वापस आ गए | पिता  की  दी हुई  80 एकड़ भूमि पर बस गए | और मशीन मरम्मत करने का एक कारखाना खोला | सन 1887 में इनका विवाह हुआ तथा इसी वर्ष इन्होंने गैस इंजन और  खेतों पर भारी काम करने वाली मशीन बनाने की एक योजना बनायीं | लेकिन यंत्रों की और विशेष आकर्षण के कारण वे घर पर टिक न सके और डेट्राइट चले आये |

सन 1890 में इन्होंने डेट्राइट एडिसन इलेक्ट्रिक कम्पनी में काम करना आरम्भ किया और सन 1893 में  पेट्रोल से चलनेवाली पहली गाड़ी बनायीं, जिसमें 4 एच पी की शक्ति होती थी | 1893 में ही हेन्री फोर्ड ने दूसरी गाड़ी बनानी प्रारंभ की | सन 1899 में इलेक्ट्रिक कंपनी की नौकरी छोड़कर डेट्राइट ऑटोमोबाइल कंपनी की स्थापना की | फिर इस कंपनी को छोड़कर ये दौड़ में भाग लेने वाली गाड़ियाँ बनाने लगे | इन गाड़ियों ने कई दौड़ में सफलता पाई, जिसके कारण इनका बड़ा नाम हुआ |

इसी प्रसिद्धि के कारण हेन्री फोर्ड ने सन 1903 में फोर्ड मोटर कंपनी की स्थापना की |  प्रथम वर्ष फोर्ड कंपनी ने 2 सिलिंडर और 8 एच पी की 1708 गाड़ियाँ बनायीं | इनकी बिक्री से कंपनी को शतप्रतिशत लाभ हुआ | दूसरे वर्ष 5000 गाड़ियाँ बिक गयीं | हेन्री फोर्ड इस कंपनी के अध्यक्ष हो गए | अंत में अन्य हिस्सेदारी को हटाकर एकमात्र पुत्र एड्सेल ब्रियंट के साथ सम्पूर्ण कंपनी के मालिक हो गए |

इनका उद्येश्य  हल्की, तीव्रगामी, दृढ़ किन्तु सस्ती मोटर गाड़ियों का निर्माण करना | इसमें सफलता प्राप्त करने के लिए इन्होंने ऊँची मजदूरी देने के  सिद्धांतों को अपनाया |  इन्होंने खेती के लिए ट्रैक्टर  भी बनाये | सन 1924 तक इनकी कंपनियों ने 20 लाख गाड़ियाँ, ट्रक ओर ट्रैक्टर बनाये थे | सन 1931 तक इनके सब कारखानों में निर्मित गाड़ियों की संख्या दो करोड़ तक पहुँच गयी |

अमेरिका की विगत रीतियाँ और स्मृतिचिन्हों के प्रति अटूट श्रद्धा रखने के कारण इन्होंने बड़ी लोकप्रियता हासिल की | काम करने और इंजीनियरों को  प्रेरित करने के लिए उनकी इच्छाशक्ति प्रवल  थी | अभियंताओं द्वारा असंभव बताने पर भी वे कभी रुकते नहीं थे | सफलता मिलने तक डटे रहते |  एक अरबपति होने के बावजूद फोर्ड अपने ऑफिस और फैक्ट्री में  बिल्कुल साधारण कपडे में आ जाते थे | उनका कहना था कि यहाँ मुझे सभी जानते हैं कि मैं हेन्री फोर्ड हूँ | मैं मंहगे कपडे पहनकर सबको यह दिखाने की चिंता क्यों करूँ कि मैं हेन्री फोर्ड हूँ |

फोर्ड में आदर्शवादिता तथा कट्टरपन का विचित्र सम्मिश्रण था | इनका विचार था उद्योग विकेन्द्रित हो और खेती के साथ साथ कारखानों का काम भी चले | ये ऊँची मजदूरी देने के पक्ष थे मगर मजदूर संघ के घोर विरोधी थे | यहाँ तक कि वे अपने कारखानों में संघ को पनपने देना नहीं चाहते थे | इसलिए ये भेदियों और सशस्त्र पुलिश से काम लेते थे | बैंकों और महाजनों में भी इनकी नहीं पटती थी |

आज के दौर में कुछ मुश्केली आई तो काम करना छोड़ देनेवाले हमारे युवाओ के लिए, हेन्री फोर्ड एक बड़ा आश्वासन है, उनसे बहोत कुछ शिख मिलती है I हेन्री फोर्ड ने अपनी जिन्दगी में कभी भी हार नहीं मानी I उन्होंने जो स्वप्न देखा था, वो स्वप्न पर उन्होंने लगातार महेनत की, और सफल व्यक्तित्व के रूप में उभर आए I आज फोर्ड मोटर्स का नाम सारी दुनियामे बहोत इज्जत के साथ लिया जाता है, जिनका सम्पूर्ण श्रेय हेन्री फोर्ड को ही जाता है I ऐसे बहु-प्रतिभाशाली व्यक्तित्व को हमारा लाख-लाख सलाम I

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