हेपेटाइटिस-सी वायरस की खोज करने वाले तीन वैज्ञानिकों को इस साल का मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। अमेरिका के वैज्ञानिक हार्वि जे आल्टर, चार्ल्स एम राइस और ब्रिटेन के माइकल हागटन को साल 2020 का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
नोबेल पुरस्कार समिति का कहना है कि उनकी खोज से वायरस के लिए अत्यधिक संवेदनशील रक्त परीक्षण संभव हुआ और इससे दुनिया के कई हिस्सों में पोस्ट-ट्रांसफ्यूजन हेपेटाइटिस को खत्म करने में मदद मिली।तीनों वैज्ञानिकों ने रक्त-जनित हेपेटाइटिस के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक योगदान दिया है। एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य समस्या के तौर पर यह लोगों में सिरोसिस और यकृत कैंसर का कारण बनती रही है।
हार्वे जे ऑल्टर, माइकल ह्यूटन और चार्ल्स एम राइस ने सेमिनल खोजें की जिसके कारण एक नोवेल वायरस, हेपेटाइटिस सी वायरस की पहचान हुई। इससे पहले हेपेटाइटिस ए और बी वायरस की खोज महत्वपूर्ण कदम रही, लेकिन अधिकांश रक्त-जनित हेपेटाइटिस के मामले अस्पष्ट बने रहे। हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज ने क्रोनिक हेपेटाइटिस के शेष मामलों के कारण का पता लगाया और रक्त परीक्षण व नई दवाओं को संभव बनाया जिसने लाखों लोगों की जान बचाई जा सकी।
नोबेल विजेता हार्वे जेम्स अल्टर (85) अमेरिकी चिकित्सा शोधकर्ता वर्तमान में अमेरिका के बेथेस्डा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान से जुड़े हुए हैं। माइकल ह्यूटन एक ब्रिटिश वैज्ञानिक हैं और वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा, एडमॉन्टन, कनाडा से संबद्ध हैं। चार्ल्स एम राइस एक अमेरिकी विरोलॉजिस्ट हैं जिनके शोध का मुख्य क्षेत्र हेपेटाइटिस सी वायरस है। वह अमेरिका के न्यूयॉर्क के रॉकफेलर विश्वविद्यालय से जुड़े हैं।