ए आर रहमान
ए आर रहमान

मशहूर संगीतकार ए आर रहमान

ए आर रहमान, ‘स्लमडॉग मिलेनियर‘ के लिए जीत चुके है दो ऑस्कर पुरस्कार ऐसे मशहूर संगीतकार ए आर रहमान एक ऐसे भारतीय संगीतकार है| जिन्होंने भारत ही नहीं किंतु विश्व में अपनी पहचान बनाई है। ए आर रहमान का जन्म 6 जनवरी 1966 को तमिलनाडु में एक हिन्दू परिवार में हुआ था। उनका वास्तविक नाम ए एस दिलीप कुमार था| जिसे बाद में धर्म परिवर्तन के बाद उन्होंने अपना नाम अल्लाह रक्खा रहमान यानी, ए आर रहमान रख लिया। ए आर रहमान के पिता राजगोपाल कुलशिखर मलयालम फिल्मों में संगीत देते थे। पिता के यह गुण रहमान को विरासत में मिले। रहमान जब नौ साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया। पिता की मृत्यु के बाद आर्थिक स्थिति खराब हो गई और परिवार की ज़िम्मेदारी रहमान पर आ गई।  तब रहमान की मां करीमा बेगम ने रहमान के भीतर की प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें म्यूजिक के लिए प्रेरित किया था।

 

11 वर्ष की छोटी उम्र में रहमान अपने बचपन के मित्र शिव मणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड बजाने का काम करने लगे थे। उन्होंने मास्टर धन राज से संगीत की शिक्षा ली। साल 1984 से 1988 तक, वह “रूट्स” नामक बैंड का हिस्सा रहे और कन्नड़ भाषा की कई फिल्मों के लिए की-बोर्ड बजाये। उसके बाद, वह “नेमसिस एवेन्यू” नामक रॉक बैंड का हिस्सा बने, जहां उन्होंने एक निर्माता के रूप में कार्य किया। साल 1991 में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु किया। इस बीच उनकी मुलाकात निर्माता शारदा त्रिलोक से हुई, जिन्होंने रहमान को अपने चचेरे भाई मणिरत्नम से मिलवाया, जहां रहमान ने अपने प्रदर्शन से मणिरत्नम को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने रहमान को अपनी फिल्म रोजा (1992) में संगीत देने का प्रस्ताव दिया।

मणिरत्नम के इस प्रस्ताव को रहमान ने सहर्ष स्वीकार किया और एक संगीतकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। ‘रोजा’ के म्यूजिक हिट रहे। इसके साथ ही रहमान को पहली फिल्म के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अपनी इस सफलता के बाद रहमान ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उनकी जीत का सिलसिला आज भी जारी है। ‘रोजा’ के म्यूजिक की अपार सफलता के बाद रहमान को कई फिल्मों में संगीत देने के लिए ऑफर मिलने लगे। साल 1995 में रहमान ने उर्मिला मांतोडकर और आमिर खान की फिल्म ‘रंगीला’ से बॉलीवुड में कदम रखा और यहां भी सफलता ने उनके कदम चूमे। ए आर रहमान ने तमिल से लेकर हिंदी और फिर हॉलीवुड तक अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

रहमान को की बोर्ड, पियानो, सिंथेसाइजर, हारमोनियम और गिटार के महान ज्ञाता कहलाते हैं। खास तौर पर रहमान को सिंथेसाइजर में महारत हासिल हैं। ए आर रहमान ने तहजीब, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, ताल, जीन्स, पुकार, फिज़ा, लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, स्लमडॉग मिलियनेयर, गजनी जैसी कई फिल्मों में संगीत दिए है। रहमान ने देश की आजादी की पंचासवीं वर्षगांठ पर साल 1997 में देश भक्ति म्यूजिक एलबम ‘वंदे मातरम’ बनाया, जो काफी पॉपुलर हुआ। इसके अलावा रहमान ने फिल्म ’99 सांग्स’ और ‘ले मुश्क’ को प्रोड्यूस भी किया हैं।

रहमान पहले ऐसे भारतीय है, जिन्हे गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चूका हैं। इसके अलावा वह ऐसे पहले भारतीय हैं, जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ में उनके संगीत के लिए दो ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त हुए। यह पुरस्कार उन्हें साल 2009 में फिल्म के गीत ‘जय हो’ के लिए बेस्ट ऑरिजिनल स्कोर और बेस्ट ऑरिजिनल सॉन्ग के लिए पुरस्कार दिया गया था। गीत के बोल गुलजार ने लिखे थे। रहमान को अब तक चार नेशनल फिल्म अवॉर्ड, दो एकेडमी अवॉर्ड, दो ग्रैमी अवॉर्ड और एक बाफ्टा अवॉर्ड, एक गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड, 15 फिल्म फेयर अवॉर्ड और 16 फिल्म फेयर साउथ अवॉर्ड मिल चुका है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके रहमान को, साल 2000 में भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार और 2010 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

ए आर रहमान की निजी जिंदगी की बात करे तो उनकी पत्नी का नाम सायरा बानो है और उनके तीन बच्चे हैं| जिसमें दो बेटियां खदीजा, रहीमा और बेटा अमन हैं। रहमान और उनके बेटे अमन का जन्मदिन एक ही दिन है| जिसे रहमान अपने बेटे के साथ मिलकर सेलिब्रेट करते हैं। रहमान सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते है। संगीत को नया आयाम देने वाले रहमान के चाहने वालों की संख्या लाखों में है। अपनी कठिन परिश्रम से सफलता की ऊँचाइयों को छूने वाले रहमान की गिनती दुनिया के सबसे मशहूर और विख्यात म्यूजिक कम्पोजर्स में होती है। उनके जीवन पर एक किताब भी लिखी जा चुकी है, जिसका नाम ‘नोट्स ऑफ अ ड्रीम: द ऑथराइज्ड बायोग्राफी ऑफ ए.आर. रहमान’ है और इसके  लेखक चेन्नई निवासी कृष्णा त्रिलोक हैं।

रहमान का पूरा जीवन हर किसी को प्रेरित करने वाला है। सफलता की ऊँचाइयों पर पहुंचने के बावजूद रहमान अपने देश और संस्कृति से जुड़े हुए है। वह संगीत की दुनिया के वह अनमोल रत्न है, जिसने भारत को दुनिया के हर कोने सम्मान दिलाया। आज हर भारतीय को रहमान पर गर्व हैं।

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