रुपहले परदे पर लगभग चार दशक तक राज करने वाले दिग्गज अभिनेता जितेन्द्र का जन्म 7 अप्रैल 1942 को अमृतसर (पंजाब) में अमरनाथ और कृष्णा कपूर के घर हुआ| लेकिन जितेन्द्र की शिक्षा-दीक्षा मुंबई में हुई। स्कूल की पढाई ‘सेंट.सेबेस्टियन’स गोयं हाई स्कूल’, मुंबई से पूरी करने के बाद, जितेन्द्र ने सिद्धार्थ कॉलेज’, मुंबई और फिर ‘के.सी. कॉलेज’, मुंबई से अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी। जितेन्द्र का असली नाम रवि कपूर था, लेकिन फिल्मों में आने के बाद उन्होंने अपना नाम बदल कर जितेन्द्र कर लिया। जितेन्द्र को बचपन से ही फिल्मों में खासी रुचि थी। उनकी आँखों में अभिनेता बनने का सपना बचपन से ही पल रहा था, इसलिए वह अक्सर घर से भागकर फिल्में देखने जाया करते थे। जितेन्द्र फिल्म जगत में अपना करियर बनाना चाहते थे, लेकिन इस इंडस्ट्री में आना कोई आसान बात नहीं थी। वह अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे थे। इस बीच उन्हें एक दिन फिल्म इंडस्ट्री जाने का मौका मिला।
दरअसल जितेन्द्र के पिता ज्वेलरी बनाने का कारोबार करते थे, जिसकी सप्लाई फिल्म जगत में होती थी। इसी सिलसिले में एक बार जितेन्द्र भी फिल्म इंडस्ट्री गए। वहां निर्देशक वी शांताराम की नजर उनपर पड़ी। वह जितेन्द्र से काफी प्रभावित हुए और उन्हें अपनी फिल्म ‘नवरंग’ में लेने का फैसला किया। इस तरह जितेन्द्र को महज 17 साल की उम्र में साल 1959 में अभिनय करने का पहला मौका मिला। हालांकि इस फिल्म में वह छोटी सी भूमिका में थे, लेकिन साल 1959 में उन्हें फिर से वी शांताराम की फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों’ में अभिनय करने का मौका मिला और इस बार वह फिल्म में मुख्य भूमिका में नजर आये। इस फिल्म से जितेंद्र अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे, लेकिन सफलता उन्हें साल 1967 में आई फिल्म ‘फर्ज’ से मिली। इस फिल्म का गाना ‘मस्त बहारों का मै आशिक’ सुपरहिट हुआ। इसके साथ ही इस गाने में जितेन्द्र की लुक, स्टाइल और डांस स्टेप ने उन्हें रातों-रात सुपरस्टार बना दिया। इसके बाद कारवां और हमजोली जैसी फिल्मों में जितेन्द्र के डांस को काफी पसंद किया गया। उनके डांस के कारण उन्हें बॉलीवुड में “जंपिंग जैक” नाम दिया गया। जितेन्द्र ने अपने पूरे फ़िल्मी करियर में से 60 के दशक में कुल 121 हिट फिल्में दी।
उन्होंने अपने ज़माने में लगभग सभी मशहूर अभिनेत्रियों के साथ काम किया, लेकिन बड़े पर्दे पर उनकी जोड़ी सबसे ज्यादा श्रीदेवी और जयाप्रदा के साथ पसंद की गई। बॉलीवुड में अपने डांसिंग स्टाइल के कारण जंपिंग जैक के नाम से मशहूर जितेन्द्र ने, हिंदी के अलावा तेलुगु और भोजपुरी की भी कई फिल्मों में काम किया है। उनकी प्रमुख फिल्मों में संजोग, औलाद, मवाली, हिम्मतवाला, परिचय, खुदगर्ज, हकीकत, धरम-वीर, द बर्निंग ट्रेन, हातिम ताई, कुछ तो है आदि शामिल हैं। जितेन्द्र की निजी जिंदगी की बात करे तो, जितेन्द्र ने एयर हॉटेस्ट शोभा कपूर से लम्बे रिलेशनशिप के बाद साल 1974 में शादी कर ली। हालाँकि शोभा कपूर से शादी से पहले, जीतेन्द्र के नाम बॉलीवुड की कई मशहूर अभिनेत्रियों के साथ जुड़ चुका था, लेकिन असल जिंदगी में जितेन्द्र के दिल पर शोभा का राज था। जीतेन्द्र की जब शोभा से पहली मुलाकात जब हुई, तब वे मात्र 14 वर्ष की थी। शोभा जितेन्द्र को पहली नजर में दिल दे बैठी थी और उनसे शादी करने के सपने देख रही थी। उधर जितेन्द्र फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। वहीं शोभा अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर कॉलेज कम्पलीट किया और फिर ब्रिटिश एयरवेज में एयर होस्टेस की नौकरी करने लगी। जब जितेन्द्र 1960 से 1966 के बीच में अपने आपको इंडियन सिनेमा में स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे, उसी समय में शोभा कपूर के साथ जितेंद्र के प्यार भरे रिश्ते की शुरुआत हुई थी। लम्बे समय तक रिलेशनशिप में रहने के बाद दोनों ने शादी का करने का फैसला लिया।
इनकी शादी भी बहुत ही फिल्मी अंदाज में संपन्न हुई, 18 अक्टूबर 1974 की सुबह जितेन्द्र ने अपने माता पिता को फोन पर यह जानकारी दी कि वे उसी दिन शाम को शोभा से शादी करने जा रहें है। जितेन्द्र के माता पिता ने उनसे शादी 1 सप्ताह बाद करने के लिए कहाँ ताकि वे शादी की तैयारी कर अच्छे से शादी कर पाये। परंतु शादी की तारीख और आगे टलने के डर से जितेन्द्र ने उनकी बात नहीं मानी और उसी दिन शोभा से शादी की। इनका विवाह एक बहुत ही सामान्य तरीके से कुछ पारिवारिक लोग और मेहमानों के बीच संपन्न हुआ। शादी के बाद शोभा ने एयरहोस्टेस की नौकरी छोड़ दी और फिलहाल शोभा, मशहूर टेलीविजन, वेब सीरीज और फिल्म निर्मात्री है। जितेन्द्र और शोभा के दो बच्चे मशहूर निर्माता-निर्देशक एकता कपूर और फिल्म अभिनेता-निर्माता तुषार कपूर है।
जितेन्द्र लम्बे समय से फिल्मों से दूर है, लेकिन कई रियलिटी शो में वह गेस्ट की भूमिका में नजर आते हैं। फिलहाल वह बालाजी टेलेफिल्म्स के चेयरमैन है। जीतेन्द्र आज भी उतने ही एनर्जेटिक है, जितना वह अपने जवानी के दिनों में थे। जितेंद्र के चाहने वालों की संख्या आज भी लाखों में हैँ। जितेन्द्र को फिल्म जगत में उनके सराहनीय योगदानों के लिए साल 2003 में फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड और साल 2005 में स्क्रीन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।