बद्रीनाथ मंदिर

पौराणिक मंदिर बद्रीनाथ

हिन्दू धर्म में चार धाम यात्रा का महत्व बहुत ज्यादा होता है, चार धाम में से एक धाम बद्रीनाथ धाम को कहा जाता है| उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे पर बद्रीनाथ धाम स्थित है| बद्रीनाथ धाम बद्रीनाथ भगवान् अर्थात विष्णु भगवान को समर्पित है, बद्रीनाथ धाम समुद्र तल से लगभग 3134 मीटर की ऊंचाई पर विराजमान है। बद्रीनाथ धाम में बद्रीनाथ भगवान की लगभग 3.4 फुट की शालिग्राम पत्थर की प्रतिमा स्थित है, बद्रीनाथ धाम के बारे में आप पुराणों में भी पढ़ सकते है, ऐसा माना जाता है की बद्रीनाथ धाम का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था|

बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास 

बद्रीनाथ धाम के बारे में कई सारी पौराणिक कथाएं है,उन कथाओ में से एक प्राचीन ग्रन्थ के अनुसार बद्रीनाथ धाम शुरुआत में एक बौद्ध मठ हुआ करता था, उसके बाद 8वीं में आदी गुरु शंकराचार्य ने इस जगह का दौरा करा, उसके बाद शंकराचार्य ने इस बौद्ध मठ को हिंदू मंदिर में बदल दिया गया था। आज भी अगर आप मंदिर की वास्तुकला और उज्ज्वल रंग को देखेंगे तो आपको वो एक बौद्ध मठ के समान ही दिखाई देगा, इस कहानी में कितनी सच्चाई है इस बात को हम प्रमाणित नहीं करते है|

बद्रीनाथ कैसे पहुंचे ?

आप बद्रीनाथ धाम जाने की सोच रहे है लेकिन अगर आपको रास्ते की जानकारी नहीं है तो चलिए आज हम आपकी इस परेशानी का हल बताते है| आप बद्रीनाथ हवाई, रेल और सड़क परिवहन तीनो में से किसी भी माध्यम से जा सकते है, लेकिन बद्रीनाथ जाने के लिए सबसे बेहतरीन माध्यम सड़क परिवहन ही है, सड़क परिवहन में राष्ट्रीय राजमार्ग 7 से आप बद्रीनाथ आसानी से पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से लगभग 305 किलोमीटर दूरी पर बद्रीनाथ धाम स्थित है, ऋषिकेश से आपको बस और टैक्सी आसानी से मिल जाएगी, जो आपको बद्रीनाथ धाम तक आपको पहुँच देती है|

बद्रीनाथ के पास के प्रमुख पर्यटन स्थल

तप्त कुंड

बद्रीनाथ धाम में मौजूद तप्त कुंड का भी अपना अलग ही महत्व है, इस कुंड में आपको हमेशा गर्म पानी ही मिलेगा, इस कुंड का प्राचीन ऐतिहासिक महत्व भी बहुत ज्यादा है| ऐसा माना जाता है जो भी इंसान इस कुंड के जल में स्नान कर लेता है उसे अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है| तप्त कुंड के अलावा कई प्राचीन कुंड जैसे नारद कुंड, सूर्य कुंड इत्यादि भी घूमने के लिए बेहतरीन जगह है|

नीलकंठ पर्वत

शायद ही कोई इंसान हो जिसने नीलकंठ पर्वत के बारे में ना सुना हो, हिन्दू धर्म के प्रमुख भगवान शिव के नाम से जाना जाता है| नीलकंठ पर्वत से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बहुत ही अद्भुत और रोमांचक होता है, सूर्योदय के समय जब सूरज किरणे बर्फ से घिरी हुई चोटियों पर पड़ती है तो सभी चोटियों की बर्फ सोने की तरह चमकने लगती है| कुछ लोगो का मानना है की नीलकंठ पर्वत पर भगवान शिव का वास है, इसीलिए शिव भक्तो की अटूट श्रद्धा उन्हें यहां पर ले आती है| खासतौर पर सावन के महीने में लाखो भक्त कठिन मार्गो से होते हुए नीलकंठ पर्वत पर पहुंचते हैं।

चरण पादुका

बद्रीनाथ में चरण पादुका का महत्व भी अलग ही है, ऐसा माना जाता है की भगवान विष्णु बाल रूप में यहां आते थे, जिसका प्रमाण उनके बाल स्वरूप के पैरों के निशान है| जो प्राचीन समय से ही मौजूद है, आज भी सभी भक्त भगवान विष्णु के चरण पादुका के स्थान को साष्टांग प्रणाम करके अपने जीवन को सुखमय बनाने की कामना करते है|

अलकनंदा नदी

भारत की प्रमुख नदियों में से एक नदी अलकनंदा नदी को भी माना जाता है| प्राचीन कथाओ की माने तो सतयुग में यहां पर भगवान विष्णु के साक्षात् दर्शन होते थे, त्रेता युग में सभी साधु संतो को यहां पर भगवान विष्णु के दर्शन होते थे| अलकनंदा नदी को गंगा माँ की 8 धाराओं में से एक धारा माना जाता है।

गोमुख

जो भी इंसान चार धाम की यात्रा करता है तो चार धाम यात्रा में सबसे पहले गंगोत्री पड़ती है| ऐसा माना जाता है जब गंगा माँ स्वर्ग से उतरी थी तो उनका आगमन गोमुख में ही हुआ था, बद्रीनाथ यात्रा की शुरुआत गोमुख से ही मानी जाती है|

यमुनोत्री मंदिर

यमुनोत्री मंदिर देवी यमुना को समर्पित है, यमुनोत्री मंदिर बहुत ज्यादा प्रसिद्ध और अद्भुत है। इस मंदिर में सबसे खास बात या रहस्य यह है की यमुनोत्री मंदिर में एक दीपक लगातार जलता रहता है, इस दीपक की खास बात यह है की मंदिर के कपाट लगभग 6 महीने के लिए बंद हो जाते है और उस समय पर कोई भी इंसान मंदिर में प्रवेश नहीं करता है लेकिन वो दीपक कभी बुझता नहीं है| वहाँ के लोगो का मानना है की मंदिर के कपाट बंद होने के बाद देवता इस दीपक का ध्यान रखते है और मंदिर खुलने तक इसे जलाए रखते हैं|

नरसिंह मंदिर

नरसिंह भगवान को समर्पित नरसिंह मंदिर जोशी मठ में स्थित है, इस मंदिर का सीधा संबंध बद्रीनाथ मंदिर से माना जाता है| नरसिंह मंदिर की सबसे खास बात यह है की मंदिर में स्थित नरसिंह भगवान की मूर्ति का एक हाथ बेहद पतला और कमजोर सा है और दिन प्रतिदिन यह हाथ कमजोर होता जा रहा है, नरसिंह भगवान के इस हाथ की सबसे बात यह है की ऐसा माना जाता है की जिस दिन यह हाथ मूर्ति से अलग हो जाएगा उसी दिन नर और नारायण पर्वत में आपस में मिल जाएंगे और बद्रीनाथ मंदिर पर्वतो में लीन हो जाएगा फिर बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन किसी को भी नहीं हो पाएंगे।

भीम पुल

भीम पुल का भी अपना अलग पौराणिक महत्व है, एक समय की बात है पांडवो को सरस्वती नदी को पार करना करना था लेकिन किसी पुल के ना होने की वजह वो नदी को पार नहीं कर सकते थे| ऐसे में महाबलशाली भीम ने एक विशाल शीला को उठा कर सरस्वती नदी के ऊपर रख पुल बना दिया था, फिर उस शीला पर चलकर पांडवों ने सरस्वती नदी को पार करा था। लाखो श्रद्धालु भीम पुल को देखने आते है और इस सुंदर नज़ारे को देख कर रोमांचित हो उठते हैं।

अलकापुरी

अलकापुरी भी काफी प्रसिद्ध स्थान है| ऐसा माना जाता है, अलकापुरी में भगवान कुबेर जी निवास करते है, लाखो भक्त भगवान कुबेर से प्रार्थना और दर्शन करने के लिए अलकापुरी जाते है|

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