यदि एक महान राजा और कुशल रणनीतिकार की बात की जाएए तो जो नाम सबसे पहले हम सब के ज़हन में आता है वह है “छत्रपति शिवाजी“। शिवाजी इतिहास के सबसे पराक्रमी योद्धाओं में से एक थे। शिवाजी के दौर में मराठा शासन ने सन् 1674 में नेवी फोर्स की स्थापना की थी। शिवाजी ने इसकी स्थापना कोंकण और गोवा में समुद्र की रक्षा हेतु की थी और इसे विकसित किया था। इनके पास 400 से 500 पानी के जहाज थे। इसलिए इन्हें “फादर ऑफ इंडियन नेवी” कहते हैं।
छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 में पुणे में स्थित शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। यह दुर्ग पुणे से उत्तर की ओर जुन्नर नगर के समीप स्थित है। इनके पिता का नाम शाहजी राजे भोंसले था। शाहजी राजे ने ही मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी। शाहजी ने अलग-अलग समय में अहमदनगर सल्तनतए बीजापुर सल्तनत एवं मुगल साम्राज्य में सैन्य सेवाएं दी थीं।
शिवाजी की माता जीजाबाई यादव कुल में उत्पन्न हुई थीं। वैसे तो शिवाजी के गुरू दादूजी कोंणके थे लेकिन शिवाजी की माता ही उनकी पहली गुरू बनीं। उन्होंने शिवाजी को रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाकर एक योद्धा के रूप में तैयार किया। शिवाजी बचपन से ही कुशल रणनीतिज्ञ और रण कौशल में दक्ष थे। इनका विवाह 14 मई सन् 1640 में सईबाई निंबालकर के साथ पुणे के लाल महल में हुआ था जिनसे उन्हें संभाजी नामक पुत्र प्राप्त हुआ। शिवाजी की कुल आठ रानियां थीं। इन्होंने मालवा के लोगों को इकट्ठा कर एक सेना तैयार की। इन्होंने गोरिल्ला युद्ध पद्धति की शुरूआत की। शिवाजी ने रायगढ़ का किलाए मालवा तट के उत्तर में स्थित सिंधुदुर्गए आदि का निर्माण करवाया।
प्राचीन काल की लड़ाइयों में किलों को जीतना महत्वपूर्ण माना जाता था। एक किले को जीतना एक रियासत जीतने के समान था। अतः शिवाजी ने किले जीतने शुरू किए। कहते हैंए महज़ 16 वर्ष की आयु में ही उन्होंने तोरणागढ़ किले पर कब्जा कर लिया। शिवाजी मराठा साम्राज्य का विस्तार कम से कम हानि में करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने संधिए मित्रताए भय और छापामार रणनीति का रास्ता अपनाया। इसके बाद शिवाजी ने खुद ही रायगढ़ के किले का निर्माण करवाया। शिवाजी ने मराठा साम्राज्य की राजधानी भी रायगढ़ को ही बनाया था। इस निर्माण से बीजापुर का सुल्तान क्रोधित हुआ। उसने शाहजी राजे को अपने पुत्र को समझाने के लिए कहा। ऐसा करने में असमर्थता जताने पर उन्हें गिरफ्रतार कर लिया। पिता की गिरफ्रतारी के कारण शिवाजी ने किलों को जीतना कुछ समय के लिए बंद किया और उनकी रिहाई के बाद पुनः विजय अभियान चलाया।
दक्षिण में शिवाजी की जीत में चावली का राजा चंद्रराव यशवंत मोरे सबसे बड़ी बाधा बना हुआ था। शिवाजी ने चंद्रराव को एक पत्र भेजकर अपनी अधीनता स्वीकार करने को कहा जिसे चंद्रराव ने अस्वीकार कर दिया। शिवाजी ने अपने एक सेनापति को भेजकर उसपर हमला करवाया और चावली पर कब्जा कर लिया। अब शिवाजी ने बीजापुर में अपना विस्तार शुरू किया। इससे परेशान होकर बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने अफजल खान को शिवाजी को मारने भेजा। अफजल बीजापुर सल्तनत की आदिलशाही हुकूमत का शक्तिशाली योद्धा था। अफजल खान शिवाजी को उकसाने के लिए मंदिरों को तोड़ने लगा। शिवाजी ने अफजल खान को मिलने के लिए बुलाया। वे दोनों जब एक शिविर में मिले तो शिवाजी से काफी लंबी-चौढ़ी कद-काठी वाले अफजल ने शिवाजी को छल से मारने का प्रयास किया लेकिन वह असफल रहा। तब शिवाजी ने ही अपने खंजर से अफजल का पेट चीर दिया।
औरंगजेब ने 1659 में अपने मामा शाइस्ता खान को सेनापति नियुक्त कर शिवाजी को मारने भेजा। इस लड़ाई को जीतने के लिए शिवाजी शाइस्ता खान के घर 5 अप्रैल 1663 को बाराती बन कर पहुंचे और उस पर अचानक हमला कर दिया। शाइस्ता खान भाग निकला लेकिन इस लड़ाई में उसकी तीन उंगलियां कट गईं। तब शिवाजी ने धन प्राप्ति के लिए सूरत शहर पर आक्रमण कर वहां के अमीरों को लूटा।
सूरत शहर पर हमले से औरंगजेब तिलमिला उठा। उसने आमेर के राजा जयसिंह को शिवाजी को परास्त करने के लिए भेजा। जब इस युद्ध में शिवाजी को अधिक नुकसान होने लगा तो उन्होंने 11 जून 1665 में जयसिंह से संधी कर ली। इसे पुरंदर की संधि भी कहते हैं। इसकी कुछ शर्तें इस प्रकार थीं-ः
- शिवाजी को अपने जीते हुए किलों में से सबसे प्रमुख पुरंदर का किला राजा जयसिंह को देना पड़ा।
- इसके अलावा उन्होंने 23 किले जयसिंह को दिए जिनसे सालाना करीब चार लाख रुपये की आमदनी होती थी।
- अन्य किले जिनसे एक लाख रुपये सालाना कमाई होती थी वह शिवाजी महाराज के पास ही रहे।
- बीजापुर की लड़ाई में शिवाजी महाराज द्वारा जयसिंह का साथ दिया जाता तय हुआ।
- शिवाजी के पुत्र सम्भाजी भोंसले को मुगल दरबार का मनसबदार (सेनापति) बनाया गया और उसे 5000 मनसब दिया गया।
औरंगजेब ने सन् 1666 में मुगल दरबार दिल्ली में शिवाजी को आमंत्रित किया। शिवाजी अपने पुत्र सम्भाजी के साथ मुगल दरबार पहुंचे। यहां औरंगजेब ने शिवाजी का अपमान किया। विरोध जताने पर शिवाजी और उनके पुत्र को औरंगजेब ने नजरबंद कर लिया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार आगरा के किले में शिवाजी को कैद रखने का कोई साक्ष्य नहीं मिलता। एक किवदंती के अनुसारए शिवाजी और उनके पुत्र को राजा जयसिंह के महल में कैद किया गया था जो आज आगरा के ताजगंज मोहल्ले की गलियों में स्थित है। औरंगजेब की कैद से भागने के लिए उन्होंने बीमारी का नाटक किया और फलों की टोकरी में छुपकर पुत्र के साथ भाग निकले। शिवाजी ने रायगढ़ केे किले में सन् 1674 में अपना राज्याभिषेक करवाया और छत्रपति कहलाए। शिवाजी ने मराठी भाषा को कामकाजी भाषा भी बनाया। मुगलों से युद्ध करते-करते सन् 1680 में छत्रपति शिवाजी ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। अपने उच्च कोटि के विचारोंए कुशल रणनीतिए छापामार युद्ध कौशलए वीरताए देश भक्ति और हिन्दु धर्म के प्रति उनके लगाव के कारण छत्रपति वीर शिवाजी हमेशा याद किए जाएंगे। इनके राज में महिलाओं का सम्मान किया जाता था और उनसे दुर्व्यवहार करने वाले को दंड दिया जाता था। इन्हीं कारणों से आज हर कोई शिवाजी को श्रद्धाभाव से नमन करता है।